Algo Trading Guidelines: मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने रिटेल निवेशकों के एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) पर ड्राफ्ट नियम जारी किया है. गाइडलाइंस के मुताबिक, हर एल्गो (Algos) के लिए ब्रोकर को एक्सचेंज से मंजूरी जरूरी होगी. सभी एल्गो प्रोवाइडर का एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. बता दें कि ज़ी बिजनेस ने 3 दिसंबर को रिटेल एल्गो के नियम की खबर बताई थी.

क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading)?

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एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading), शेयर बाजार में निवेश करने का एक तरीका है. इसमें, कंप्यूटर प्रोग्राम को पहले से तय नियमों के आधार पर ऑर्डर पूरा करने का काम दिया जाता है. इसे एल्गोरिथम ट्रेडिंग भी कहा जाता है. एल्गो ट्रेडिंग में, सॉफ़्टवेयर ही निवेशक की जगह ट्रेडिंग से जुड़े फैसले लेता है और ऑर्डर देता है. 

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3 जनवरी तक राय मांगी

सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग (Algo Traing) फर सभी पक्षों से 3 जनवरी तक राय मांगी है. हर एल्गो के लिए ब्रोकर को एक्सचेंज से मंजूरी जरूरी होगी. सभी एल्गो प्रोवाइडर का एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. हर एल्गो ऑर्डर की यूनिक आईडी होना जरूरी होगा. एल्गो में हर बदलाव के लिए एक्सचेंज की मंजूरी जरूरी होगी.

एल्गो प्रोवाइडर ब्रोकर के एजेंट की तरह ही काम करेंगे. तय सीमा से अधिक प्रति सेकंड ऑर्डर को एल्गो माना जाएगा. रिटेल निवेशक (Retail Investors) खुद एल्गो बनायें तो भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है. रिटेल निवेशक के बनाए एल्गो का इस्तेमाल खुद के परिवार तक सीमित होगा. निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग के रिस्क मैनेजमेंट पर एक्सचेंज नियम जारी करेंगे.

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