Transition Bonds: मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने निवेशकों के बीच पारदर्शिता और सूचना पर आधारित निर्णय-निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ट्रांजिशन बॉन्ड’ (Transition Bonds) जारी करने और उनकी लिस्टिंग से संबंधित नए प्रावधान जारी किए. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने एक सर्कुलर में कहा कि ट्रांजिशन बॉन्ड से संबंधित नए प्रावधान लागू करने का मकसद यह है कि इनके जरिए जुटाई गई राशि को दूसरी तरह आवंटित न कर दिया जाए.

क्या है ट्रांजिशन बॉन्ड?

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बता दें कि ट्रांजिशन बॉन्ड (Transition Bonds) ग्रीन एक्टिविटीज के लिए फंड जुटाए जाने का ही एक माध्यम है. ट्रांजिशन बॉन्ड किसी कंपनी के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़ी गतिविधियों के फंडिंग के लिए जारी किए जाते हैं. वहीं ग्रनी बॉन्ड जलवायु एवं पर्यावरणीय परियोजनाएं लाने के लिए जारी किए जाते हैं.

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सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि ट्रांजिशन बॉन्ड (Transition Bonds) जारी करने का इरादा रखने वाली कंपनी को सार्वजनिक निर्गम के पेशकश दस्तावेज में अतिरिक्त सूचनाएं देनी जरूरी होंगी. ऐसे बॉन्ड के निजी आवंटन में भी यह प्रावधान लागू होगा. Transition Bonds जारी करने वाली कंपनी को अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्य का ब्योरा देने के साथ यह भी बताना होगा कि परियोजना को लागू करने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाई जाएगी. जारीकर्ता कंपनी इसके क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक समिति भी बना सकती हैं.

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स्टॉक एक्सचेंजों के IT सिस्टम के लिए टेस्टिंग फ्रेमवर्क पेश

इस बीच, सेबी ने शेयर बाजारों एवं अन्य बाजार ढांचागत संस्थानों की सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों के लिए परीक्षण प्रारूप भी जारी किया है. यह प्रारूप शेयर बाजारों के साथ समाशोधन निगम और डिपॉजिटरी के आईटी सिस्टम से जुड़े जोखिमों का आकलन करने में मदद करेगा.

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