मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने लिस्टेड कंपनियों के डिस्क्लोजर नियमों (Disclosure Norms) को और कड़ा करना का प्रस्ताव किया है. सेबी ने इस पर एक कंसल्टेशन पेपर (Consultation Paper) जारी किया है. कंस्टलेशन पेपर में इस बात पर जोर है कि कंपनियां अहम घटनाओं और बातों को छिपाएं नहीं बल्कि जल्दी से जल्दी निवेशकों के सामने रखें ताकि निवेशकों को कंपनी की अहम घटनाओं की सही और जल्दी से जानकारी मिल सके. 

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बता दें कि निवेशक कंपनियों से जुड़ी घटनाओं के आधार पर ही निवेश के फैसले लेते हैं. 27 नवंबर तक सभी पक्षों से राय मांगी गई है. 

किस घटना का डिस्क्लोजर जरूरी होगा

स्टैंडअलोन टर्नओवर पर 2% तक असर, जिससे स्टैंडअलोन नेटवर्थ पर 2% तक प्रभाव, जिससे 3 साल के मुनाफे-घाटे के 5% तक असर, इन तीन में सबसे कम वाले से अधिक असर तो डिस्क्लोजर देना होगा. कंपनियां अब तक अपने हिसाब से मतलब निकालती थीं. अहम घटना तय करने की कर्मचारियों की ट्रेनिंग जरूरी है. घटना का रिपोर्टिंग टाइम 24 से घटाकर 12 घंटा किया गया है.

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खबरों पर सफाई देना जरूरी होगा

बोर्ड मीटिंग के 30 मिनट बाद डिस्क्लोजर जरूरी होगा. मीडिया में आई खबरों पर सफाई देना जरूरी होगा. टॉप 250 कंपनियों को मीडिया में सफाई देना ही होगा. रेगुलेटरी अथॉरिटी, कोर्ट से नोटिस तो डिस्क्लोजर बताना होगा क्यों चिट्ठी आई, कब आई, क्या उल्लंघन हुआ. सस्पेंशन, पेनाल्टी, प्लांट क्लोजर की जानकारी जरूरी होगी. छापा, सेटलमेंट, अयोग्यता, चेतावनी, जांच का डिस्क्लोजर देना होगा.

खाते नए सिरे से बनाने का निर्देश तो भी बताना होगा. अगर कार्रवाई हुई तो उसका संभावित असर बताना होगा. कुछ भी ऐसा बोला जो पब्लिक नहीं तो डिस्क्लोजर जरूरी. बड़े पद पर बैठे अधिकारियों का इस्तीफा तो भी डिस्क्लोजर. MD&CEO 1 माह की छुट्टी पर तो भी डिस्क्लोजर . एसोसिएट कंपनी की बिक्री, हिस्सा बिक्री पर भी डिस्क्लोजर जरूरी है.

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