वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने वालों के लिए जरूरी अपडेट; SEBI ने इस नियम में दी राहत
SEBI Latest Update: सेबी ने क्रॉस मार्जिन बेनेफिट (Cross Margin Benefit) के नियमों में राहत दी है. सेबी ने इंडेक्स फ्यूचर्स पोजीशन और स्टॉक फ्यूचर्स पोजीशन के बीच क्रॉल मार्जिन बेनेफिट में रियायत दी है.
SEBI Latest Update: वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने वालों के लिए जरूरी अपडेट आया है. मार्केट रेगुलेटर सेबी यानी सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने वालों के लिए एक जरूरी अपडेट जारी किया है. सेबी ने क्रॉस मार्जिन बेनेफिट (Cross Margin Benefit) के नियमों में राहत दी है. सेबी ने इंडेक्स फ्यूचर्स पोजीशन और स्टॉक फ्यूचर्स पोजीशन के बीच क्रॉल मार्जिन बेनेफिट में रियायत दी है. इससे सेंसेक्स-निफ्टी या बैंकेक्स और बैंक निफ्टी इंडेक्स में ट्रेडिंग करने वालों का फायदा होगा. इस नए नियम के जरिए अलग-अलग तारीखों की एक्सपायरी में भी क्रॉस मार्जिन बेनेफिट का फायदा मिलेगा.
SEBI ने इस नियम में किया बदलाव
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने क्रॉस मार्जिन बेनेफिटी के नियमों में राहत दी है. सेबी के नए नियम के मुताबिक, एक जैसे इक्विटी इंडेक्स की ऑफसेटिंग पोजीशन पर ट्रेडर्स को राहत मिलेगी. अलग एक्सपायरी डेट हुई तो 40 फीसदी स्प्रेड मार्जिन के साथ बेनेफिट मिलेगा. इसके अलावा एक ही डेट की एक्सपायरी हुई तो 30 फीसदी स्प्रेड मार्जिन जारी रहेगा.
इंडेक्स और इंडेक्स के शेयर में ऑफसेटिंग पर 35 फीसदी स्प्रेड मार्जिन का फायदा मिलेगा और एक्सपायरी दिन की शुरुआत के साथ स्प्रेड मार्जिन खत्म होगा. उदाहरण के तौर पर क्रॉस मार्जिन का लाभ उन स्थितियों में मिलता है, जब एक ही जैसे इंडेक्स हों (को-रिलेटेड हों). जैसे कि सेंसेक्स और निफ्टी या फिर बैंकेक्स-बैंक निफ्टी या फिर इसी तरह के दूसरे मिलते जुलते इंडेक्स जिसमें हाई को-रिलेशन हो. मतलब अगर कोई निफ्टी में लॉन्ग है और सेंसेक्स में शॉर्ट है तो पोजीशन के हिसाब से पूरा मार्जिन के बदले नेट मार्जिन देना होता है.
क्या है क्रॉस मार्जिन बेनेफिटा का नियम
मौजूदा समय में क्रॉस मार्जिन लाभ प्रदान किए जाते हैं अगर को-रिलेटेड इंडेक्स या इंडेक्स जैसा भी मामला हो की समाप्ति तिथि एक ही हो. क्रॉस मार्जिनिंग मार्जिन मांगों को कम करके और शुद्ध निपटान दायित्वों को कम करके संस्थाओं के लिए तरलता और वित्तपोषण लचीलेपन को बढ़ाती है.
सेबी ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन प्रतिभागियों की क्रॉस मार्जिन गतिविधियों की निगरानी करेंगे. बता दें कि सर्कुलर के इश्यू डेट के तीन महीने बाद ये नियम बाजार में लागू हो जाएगा.