SEBI का बड़ा एक्शन, लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड में परमानेंट बने रहने का चलन होगा समाप्त; 1 अक्टूबर से नियम लागू
मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने शेयर होल्डर्स को ज्यादा पावर देते हुए लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड में परमानेंट मेंबरशिप के चलन को समानप्त करने का फैसला किया है. नया नियम 1 अक्टूबर 2023 से लागू हो रहा है.
बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को लिस्टेड कंपनियों में संचालन व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने और जरूरी जानकारी का खुलासा समय पर सुनिश्चित करने के लिए नियमों में संशोधन का निर्णय किया. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बयान के अनुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में यह निर्णय किया गया कि जरूरी जानकारी के खुलासे के लिए समयसीमा का कड़ाई से पालन होगा. साथ ही नियामक ने लिस्टेड कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में व्यक्तियों के लिए स्थायी तौर पर सीट की व्यवस्था को भी समाप्त करने का निर्णय किया है.
1 अक्टूबर 2023 से लागू होगा नियम
बयान में कहा गया है, ‘‘ लिस्टेड कंपनियों के लिए बाजार अफवाहों का सत्यापन करना और जो भी स्थिति हो, उसके अनुसार उसकी पुष्टि या उसे खारिज करना होगा. मार्केट कैप के लिहाज से शीर्ष 100 कंपनियों के लिए यह व्यवस्था एक अक्टूबर, 2023 से लागू होगी. वहीं मार्केट कैप के लिहाज से शीर्ष 250 लिस्टेड कंपनियों के लिए यह एक अप्रैल, 2024 से लागू होगी.’’ लिस्टेड कंपनियों में संचालन व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सेबी ने कहा कि किसी लिस्टेड इकाई के शेयरधारक को दिए गए किसी विशेष अधिकार के लिए समय-समय पर शेयरधारकों के अनुमोदन की आवश्यकता होगी ताकि विशेष अधिकारों के लंबे समय तक बने रहने के मुद्दे का समाधान किया जा सके.
शेयर होल्डर्स से समय-समय पर मंजूरी जरूरी
एक लिस्टेड इकाई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बने रहने के लिए शेयरधारकों की समय-समय पर मंजूरी की जरूरत होगी. इसका उद्देश्य बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में स्थायी तौर पर बने रहने के चलन को समाप्त करना है. अन्य बातों के अलावा, नई लिस्टेड कंपनियों के पहले वित्तीय परिणाम की घोषणा को लेकर समयसीमा को दुरुस्त किया जाएगा ताकि लिस्टेड होने के बाद वित्तीय परिणाम को तत्काल प्रस्तुत करने में आने वाली चुनौतियों को दूर किया जा सके. साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि वित्तीय परिणाम प्रस्तुत करने में कोई चूक न हो.
3 महीने के भीतर करनी होगी CEO जैसे अधिकारियों की नियुक्ति
सेबी ने यह भी कहा कि लिस्टेड संस्थाओं को डायरेक्टर्स, अनुपालन अधिकारी, CEO और मुख्य वित्त अधिकारी के पदों के रिक्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर उस पर नियुक्ति करनी होगी. नियामक ने प्रतिभूति बाजार में निवेशक शिकायत निवारण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी कदम उठाया है. इसके तहत पंजीकृत मध्यस्थों और विनियमित संस्थाओं के निवेशकों के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था चालू करने का निर्णय किया गया है.
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