SEBI चेयरपर्सन के जवाब के बाद Hindenburg ने उठाए नए सवाल, X पोस्ट में शेयर किए कई डॉक्यूमेंट
Hindenburg Report on SEBI Chairperson: हिंडनबर्ग ने रविवार देर रात X (एक्स) पर एक पोस्ट में कहा कि SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच की हमारी रिपोर्ट पर जवाब में उन्होंने कई अहम तथ्य स्वीकार किए हैं और कई नए जरूरी सवाल खड़े किए हैं.
Hindenburg Report on SEBI Chairperson: शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच (SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch ) व उनके पति धवल बुच (Dhaval Buch) के खिलाफ लगाए गए आरोपों और उस पर बुच दंपती के जवाब के बाद हिंडनबर्ग फिर नए सवाल उठाए हैं. हिंडनबर्ग ने रविवार देर रात X (एक्स) पर एक पोस्ट में कहा कि SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच की हमारी रिपोर्ट पर जवाब में उन्होंने कई अहम तथ्य स्वीकार किए हैं और कई नए जरूरी सवाल खड़े किए हैं.
हिंडनबर्ग ने रविवार देर रात X (एक्स) पर एक पोस्ट में कहा, बुच के जवाब से अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा/मॉरीशस के एक अस्पष्ट फंड स्ट्रक्चर में उनके निवेश की पुष्टि हो गई है, साथ ही विनोद अडानी की ओर से कथित रूप से बाहर भेजे गए पैसे की भी पुष्टि हो गई है. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडानी के निदेशक थे.
अडानी मामले में सेबी की जांच में बड़े पैमाने पर 'हितों के टकराव' का हवाला देते हुए, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा, "सेबी को अडानी मामले से संबंधित निवेश फंडों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें वे फंड शामिल होंगे जिनमें बुच ने व्यक्तिगत रूप से निवेश किया था और ये उसी स्पांसर की ओर से फंड था, जो हमारी मूल रिपोर्ट में विशेष रूप से हाइलाइट किए गए थे।"
हिंडनबर्ग ने कहा, बुच के बयान में यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने जो दो कंसल्टिंग फर्म स्थापित कीं, जिनमें भारतीय और सिंगापुरी कंपनी शामिल हैं, वे 2017 में सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गईं, और 2019 में उनके पति ने कार्यभार संभाल लिया.
31 मार्च, 2024 तक की लेटेस्ट शेयरहोल्डिंग लिस्ट के मुताबिक, अगोरा एडवाइजरी लिमिटेड (इंडिया) का 99% स्वामित्व अभी भी माधबी बुच के पास है, न कि उनके पति के पास. यह कंपनी फिलहाल एक्टिव है और कंसल्टिंग रेवेन्यू जेनरेट कर रही है.
इसके अलावा, सिंगापुर के रिकॉर्ड के मुताबिक, बुच 16 मार्च, 2022 तक अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर की 100% शेयरधारक रहीं, और सेबी होल टाइम मेम्बर के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इसकी ओनर रहीं. उन्होंने सेबी अध्यक्ष के रूप में अपनी नियुक्ति के 2 सप्ताह बाद ही अपने शेयर अपने पति के नाम पर ट्रांसफर किए.
इसमें कहा गया है, "भारतीय यूनिट, जो अभी भी सेबी चेयरपर्सन के स्वामित्व में 99 फीसदी है, ने वित्तीय वर्ष '22, '23 और '24 के दौरान रेवेन्यू (यानी कंसल्टेशन) में 23.985 मिलियन रुपये (यूएस $ 312,000) जेनरेट किए हैं. अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट के मुताबिक उस समय वे चेयरपर्सन के रूप में कार्य कर रही थीं."
सेबी प्रमुख के होने का दावा करने वाले पर्सनल ईमेल की कॉपी दिखाते हुए हिंडेनबर्ग ने शनिवार को एक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि “बुच ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कार्य करते हुए अपने पति के नाम का इस्तेमाल करके बिजनेस करने के लिए अपने पर्सनल ईमेल का इस्तेमाल किया.” इसमें सवाल उठाया गया है: "आधिकारिक पद पर रहते हुए सेबी चेयरपर्सन ने अपने पति के नाम से और कौन से निवेश या कारोबार किए हैं?"
हिंडनबर्ग के आरोपों पर क्या है बुच दंपती का जवाब
हिंडनबर्ग (Hindenburg) द्वारा लगाए गए आरोपों पर SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति धवल बुच (Dhaval Buch) ने बीते शनिवार (10 अगस्त) को जवाब दिया. बुच दंपती ने कहा, आईआईएफएल वेल्थ मैनेजनेंट फंड में निवेश माधुवी पुरी बुच के सेबी का हिस्सा बनने से दो साल पहले निजी नागरिक के तौर पर किया गया था. सेबी चेयरपर्सन ने कहा, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिस फंड का उल्लेख किया गया है, उसमें निवेश 2015 में किया गया था, जब वे दोनों सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे और यह निवेश माधबी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से लगभग 2 वर्ष पहले किया गया था. इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं, जो स्कूल और आईआईटी दिल्ली से हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3i ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी होने के नाते, कई दशकों का मजबूत निवेश करियर रखते हैं. बयान में कहा गया है कि, जैसा कि अनिल आहूजा ने पुष्टि की है, किसी भी समय फंड ने किसी भी अदानी समूह की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया है.
2019 में ब्लैकस्टोन प्राइवेट इक्विटी के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में धवल की नियुक्ति सप्लाई चेन मैनेजमेंट में उनकी गहरी विशेषज्ञता के कारण हुई थी. इस प्रकार उनकी नियुक्ति सेबी अध्यक्ष के रूप में माधबी की नियुक्ति से पहले की है. यह नियुक्ति तब से सार्वजनिक डोमेन में है. धवल बुच का प्रमुख निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन (Blackstone) के रियल एस्टेट सेगमेंट से संबंध नहीं. उनकी नियुक्ति के बाद ब्लैकस्टोन ग्रुप को तुरंत सेबी के पास रखी गई माधबी की त्याग सूची में शामिल कर दिया गया.
सिंगापुर में रहने के दौरान माधबी द्वारा स्थापित दो परामर्श कंपनियां, एक भारत में और एक सिंगापुर में, सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गईं. ये कंपनिया (सेबी को उनके खुलासे का स्पष्ट रूप से हिस्सा थीं. माधवी की सेबी में नियुक्ति के फौरन बाद उनकी दो सलाहकार कंपनियां निष्क्रिय हो गईं.
बयान में कहा गया है कि 2019 में धवल के यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद, उन्होंने इन कंपनियों के जरिए अपना खुद का कंसल्टेंसी प्रैक्टिस शुरू किया. सप्लाई चेन में धवल की गहरी विशेषज्ञता ने उन्हें भारतीय उद्योग में प्रमुख ग्राहकों के साथ काम करने का मौका दिया. इस प्रकार, इन कंपनियों में अर्जित आय को माधबी के मौजूदा सरकारी वेतन से जोड़ना दुर्भावनापूर्ण है.
जब सिंगापुर इकाई की शेयरधारिता धवल के पास चली गई, तो एक बार फिर इसका खुलासा न केवल सेबी के समक्ष किया गया, बल्कि सिंगापुर के अधिकारियों और भारतीय कर अधिकारियों के समक्ष भी किया गया.
हिंडनबर्ग को कई नोटिस, नहीं दिया जवाब
हिंडेनबर्ग (Hindenburg) को भारत में विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. हिंडनबर्ग को कई उल्लंघनों के लिए नोटिस दिया गया; दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह नोटिस का जवाब नहीं दे रही, बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है.
हिंडनबर्ग के अपनी ताजा रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद एक बयान में बुच ने आरोपों को निराधार बताया था. हिंडनबर्ग के मुताबिक, माधवी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदानी ने पैसों की हेराफेरी करने और अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. विनोद अदानी, अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.