Interoperability for Stock Exchanges: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों में तकनीकी दिक्कत आने पर ट्रेडिंग जारी रखने को लेकर नए नियम जारी किए हैं. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने तकनीकी गड़बड़ी या आउटेज की स्थिति में कारोबार सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों की इंटरऑपरेबिलिटी की घोषणा की है. कैश, डेरिवेटिव, करेंसी डेरिवेटिव और इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स के लिए इंटरऑपरेबिलिटी 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी.

2 महीने में SOP सौंपने का निर्देश

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स्टॉक एक्सचेंज BSE में दिक्कत आने पर केवल BSE लिस्टेड शेयर NSE में ट्रेड होंगे और NSE में दिक्कत आने पर केवल NSE लिस्टेड शेयर BSE पर ट्रेड होंगे.  स्टॉक एक्सचेंजों को अगले दो महीनों के भीतर इसके लिए एक स्टैंडर्ड ऑपेरिटंग प्रोसेड्यूर (SOP) जारी करने का निर्देश दिया गया है. तकनीकी दिक्कत आने पर ट्रेडिंग को शिफ्ट किया जाएगा.

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अभी NSE, केवल BSE लिस्टेड शेयरों की रिजर्व लिस्ट बनाएगी. फिर BSE, केवल NSE पर लिस्टेड शेयर की रिजर्व लिस्ट बनाएगी. शेयर और इंडेक्स के F&O सौदों को भी ऑफसेट किया जा सकेगा. हाई को-रिलेटेड इंडेक्स की भी पोजीशन ऑफ सेट की जा सकेगी. एक्सचेंज में खामी के 75 मिनट में दूसरे एक्सचेंज को सूचना जरूरी होगी. SOP के हिसाब से अल्टरनेटिव एक्सचेंज दूसरे के शेयर ट्रेडिंग शुरू करेगा. NSE-BSE 60 दिन में SOP बनाएंगे, 1 अप्रैल से नियम लागू होगा.