Mutual Fund: रिजर्व बैंक ने एलान किया है कि इसी महीने G-SAP 1.0 के तहत 40 हजार करोड़ के गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) की ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) के जरिए खरीद की जाएगी. वहीं, वित्त वर्ष 2022 के Q2 में G-SAP 2.0 के तहत सेंट्रल बैंक का 1.2 लाख करोड़ की G-Sec की खरीद का प्लान है. रिजर्व बैंक का कहना है कि ग्रोथ रिवाइवल के लिए सभी उपाय किए जाएंगे. इसमें सिस्टम में लिक्विडिटी बनाए रखना प्राथमिकता में होगा. कोरोना संकट के बीच सरकार लगातार बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करने पर फोकस कर रही है. बॉरोइंग प्रोग्राम को एग्रेसिव तरीके से लागू किया जा रहा है. एक्सपर्ट का मानना है कि सेंट्रल बैंक का यह कदम बैंकिंग एंड पीएसयू फंड कटेगिरी के लिए पॉजिटिव रहने वाला है. इस सेग्मेंट में निवेशकों का आकर्षण बढ़ेगा.

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म्यूचुअल फंड में कहां बनेगा मौका

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CIO-फिक्स्ड इनकम, कुमारेश रामकृष्णन का कहना है कि वित्त वर्ष 2022 के लिए दूसरी मॉनेटरी पालसी में उम्मीद के मुताबिक दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. एमपीसी ने लिक्विडिटी नॉर्मलाइजेशन पर कोई टाइम बेस्ड गाइडेंस देने से परहेज किया है, हालांकि इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए सरप्लस लिक्विडिटी को बनाए रखने पर फोकस किया है. 

उन्होंने कहा कि G-SAP 1.0 को अच्छा रिस्पांस मिला है. G-SAP 1.0 में 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऑक्शन होगा. वहीं, Q2 में G-SAP 2.0 को लाने का फैसला लिया गया है, जिसके तहत 1.2 लाख करोड़ की गवर्नमेंट सिक्योरिटीज खरीदे जाएंगे. गाइडेंस को लेकर कोई निश्चित डेडलाइन नहीं है. इससे शॉर्ट से मीडियम टर्म यील्‍ड में बहुत अधिक बदलाव होने की संभावना नहीं है. फिलहाल आरबीआई के इस कदम से बैंकिंग एंड पीएसयू फंडों में तेजी आ सकती है. डायनमिक बांड फंड भी बेहतर ​रिटर्न दे सकते हैं. 

बैंकिंग एंड पीएसयू फंड क्यों बेहतर 

 

बैंकिंग और पीएसयू फंड्स एक फिक्सड इनकम फंड होते हैं, जो डेट और मनी मार्केट में निवेश करते हैं. इन्हें बैंक, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग और पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस द्वारा जारी किया जाता है. ब्याज दरें अगर कम रहती हैं तो इन फंडों का रिटर्न बढ़ जाता है. इनमें लिक्विडिटी की समस्या नहीं होती है. इनका एक्सपेंस रेश्यो भी कम होता है. हालांकि एक्सपट्र का कहना है कि जो निवेशक बाजार से ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें इस कटेगिरी में निवेश करना चाहिए. निवेश का लक्ष्य लांग टर्म होना चाहिए.

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