क्वांट म्यूचुअल फंड (Quant Mutual Fund) के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर संदीप टंडन (Sandeep Tandon) का नाम एक बार फिर विवादों में घिरा है. इस बार फ्रंट-रनिंग और इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला सामने आया है. दोनों ही मामले बाजार में हेरफेर के सबसे गंभीर आरोपों में से एक माने जाते हैं. टंडन और हाई नेट वर्थ निवेशक सुमना पारुचुरी (Sumana paruchuri) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ सेटलमेंट के लिए आवेदन किया है. 

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यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब SEBI ने इस मामले में 70-80 करोड़ रुपये के कथित फ्रंट-रनिंग लेनदेन का पता लगाया है. सेबी ने इस संदर्भ में जून 2024 में देश के दो शहरों में छापेमारी भी की थी.

समझौते के पीछे छिपी रणनीति?

SEBI के मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) के नेतृत्व में यह एक और मामला है जहां कुछ प्रमुख व्यक्तियों को समझौते का फायदा मिलता दिख रहा है. सवाल यह उठता है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, SEBI ने अब तक इस मामले में कोई एक्स-पार्टी आदेश क्यों नहीं पारित किया?

इतिहास पर नजर डालें तो यह पहली बार नहीं है जब सेबी पर समय पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा हो. उदाहरण के तौर पर, केतन पारेख मामले में भी SEBI ने छापेमारी के 18 महीने बाद आदेश पारित किया था, जिससे आपातकालीन उपाय का उद्देश्य ही खत्म हो गया.

SEBI की समझौता प्रक्रिया: आलोचनाओं के घेरे में

सेबी की सहमति शर्तों के तहत आरोपियों को बिना दोष स्वीकार किए या अस्वीकार किए जुर्माना भरकर मामले को सुलझाने की अनुमति दी जाती है. लेकिन सवाल यह है कि ऐसी व्यवस्था क्यों बनाई गई, जो आरोपियों को अपने अपराधों से बचने का एक आसान रास्ता देती है. इस मामले में, सेबी ने समझौते को मंजूरी तब दी, जब जांच अभी भी चल रही थी. यह स्थिति बाजार के हितधारकों के विश्वास को कमजोर कर सकती है.

विवादों में क्वांट म्यूचुअल फंड

क्वांट म्यूचुअल फंड, जो हाल के वर्षों में अपने बेहतरीन फंड प्रदर्शन के लिए जाना जाता है, अब फ्रंट-रनिंग और इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे गंभीर आरोपों के कारण विवादों में है. इस फंड हाउस की प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. जून 2024 में, सेबी ने क्वांट म्यूचुअल फंड के मुंबई मुख्यालय और हैदराबाद में सुमना पारुचुरी के परिसरों पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और बेहिसाब संपत्तियां जब्त की गईं.

सुमना पारुचुरी का मामला

सुमना पारुचुरी, एक हाई नेट वर्थ निवेशक, जिनके हैदराबाद में कई उच्च पदस्थ अधिकारियों, राजनेताओं और कंपनी प्रमोटरों से संबंध हैं. जांच में पाया गया कि वह क्वांट म्यूचुअल फंड के ट्रेड्स में फ्रंट-रनिंग में शामिल हो सकती हैं. सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, पारुचुरी उन कंपनियों में हिस्सेदारी रख सकती हैं, जिनमें क्वांट ने निवेश किया है.

SEBI के पास एक्स-पार्टी आदेश का अधिकार

SEBI के पास एक्स-पार्टी आदेश जारी करने का अधिकार है, जो आपातकालीन स्थितियों में बिना सुनवाई के अस्थायी प्रतिबंध लगाने के लिए उपयोग किया जाता है. लेकिन इस मामले में सेबी ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है.

2023 में, SEBI ने सोशल मीडिया प्रभावितों पर छापेमारी से पहले एक्स-पार्टी आदेश जारी किया था. लेकिन केतन पारेख मामले में इस प्रक्रिया में देरी ने इसके महत्व को कमजोर कर दिया.

क्या SEBI की साख पर संकट है?

इस मामले में सेबी के रुख से उसके नियामक ढांचे और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं. निवेशकों के हितों की रक्षा और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, सेबी को इस मामले में अधिक निर्णायक और समय पर कार्रवाई करनी चाहिए.