F&O और कैश मार्केट के सौदों का एक साथ हो सकता है नेट सेटलमेंट, SEBI की कमिटी ने दी प्रस्ताव को मंजूरी
Net Settlement Facility: अब वायदा बाजार और कैश मार्केट के सौदों का नेट सेटलमेंट एक साथ किया जा सकता है. इसके लिए सेबी की एक कमिटी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
Net Settlement Facility: मार्च तक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस और कैश के सौदों के नेट सेटलमेंट की सुविधा शुरू हो सकती है. ज़ी बिजनेस को मिली जानकारी के मुताबिक सेबी की एक कमेटी ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है. अब एक्सचेंजेज़ और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस जैसे मार्केट इंफ्रा इंस्टीट्यूशंस को अपनी तकनीकी बदलाव करना है. हालांकि ऐसा बताया जा रहा है कि इसमें थोड़ा वक्त लगेगा और उसके बाद इसे फरवरी-मार्च तक अमल में लाया जाएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि क्लाइंट फ्यूचर्स और कैश सेगमेंट के बीच देनदारियों और लेनदारियों का नेट सेटलमेंट कर सकेंगे और इससे नकदी की स्थिति बेहतर होगी.
अलग-अलग होता है सेटलमेंट
बता दें कि मौजूदा समय में फ्यूचर्स और कैश के सौदों का अलग अलग सेटलमेंट होता है. फ्यूचर्स में भी डिलीवरी शुरु होने और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस की इंटर ऑपरेबिलिटी के बाद इस प्रस्ताव पर विचार शुरु किया गया. मार्केट के जानकारों का मानना है कि इस प्रस्ताव के पास हो जाने से क्लाइंट और ब्रोकर्स दोनों का भला होगा. जानकारों का मानना है कि नेट सेटलमेंट फैसिलिटी मिलने से देनदारी या लेनदारी का बार बार चक्कर नहीं होगा और जो भी देनदारी या लेनदारी बनती है वो एक बार में ही निपटाई जा सकेगी.
सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स में बदलाव नहीं
इसके अलावा इस मामले में ये भी साफ हो गया है कि STT यानि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को लेकर कोई बदलाव नहीं होगा. जानकारों के मुताबिक सौदों के नेट सेटलमेंट में ट्रांजैक्शन की संख्या घटी हुई नहीं मानी जाएगी. इस वजह से STT की देनदारी में भी कोई कमी नहीं होगी.
कई बार ऐसा होता है क्लाइंट्स की पोजीशंस कट जाती थीं. क्योंकि मार्जिन का इंतजाम नहीं हो पाता था. लेकिन अगर नेट सेटलमेंट की व्यवस्था आती है तो ये दिक्कत कम होगी. अभी मार्जिन की शर्तें काफी कड़ी हो चुकी हैं. ऐसे में अगर फंड का इंतजाम न हो पाए तो कई बार दिक्कत हो जाती है. पेनाल्टी भी लगने की नौबत आ जाती है.
नेट सेटलमेंट में क्या होगा?
बता दें कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स ऑब्लिगेशन का कैश सेगमेंट से सेटलमेंट हो सकेगा और अलग-अलग सेटलमेंट और फंड के इंतजाम का टेंशन नहीं होगा. वहीं लिक्विडिटी की स्थिति बेहतर होगी और इसका फायदा क्लाइंट को मिलेगा. बता दें कि अभी कैश और F&O के सेटलमेंट अलग अलग ही होते हैं.