Mutual Fund ला सकेंगे पैसिव ELSS, डेट ETF और इंडेक्स फंड; SEBI ने दी मंजूरी
SEBI सर्कुलर के मुताबिक, अब म्यूचुअल फंड्स हाउस पैसिव इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS), डेट बेस्ड ईटीएफ और डेट बेस्ट इंडेक्स फंड लॉन्च कर सकेंगे. इसके लिए क्राइटेरिया भी तय किया है.
SEBI new circular on Mutual Fund: मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड्स को पैसिव ELSS स्कीम के साथ साथ डेट आधारित ETF और डेट इंडेक्स फंड लॉन्च करने की इजाजत दे दी है. सेबी ने इस पर सर्कुलर जारी किया है. अब पैसिव ELSS के जरिए निवेशक अप्रूव्ड म्यूचुअल फंड में निवेश के जरिए टैक्स बचा सकेंगे. पैसिव फंड से ट्रांसपरेंसी, डाइवर्सिफिकेशन, कम लागत का लाभ होगा.
सर्कुलर के मुताबिक, अब म्यूचुअल फंड्स हाउस पैसिव इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS), डेट बेस्ड ईटीएफ और डेट बेस्ट इंडेक्स फंड लॉन्च कर सकेंगे. इसके लिए क्राइटेरिया भी तय किया है. जैसेकि, म्यूचुअल फंड्स (MFs) को एक्टिव या पैसिव में से एक ELSS रखना होगा. टॉप 250 मार्केट कैप कंपनियों के इंडेक्स पर आधारित ELSS फंड लाना होगा.
डेट ETF और इंडेक्स फंड लाना आसान
सर्कुलर के मुताबिक, MFs के लिए डेट वाले ETF और इंडेक्स फंड लाना आसान किया गया है. ये तीन कैटेगरी में लाए जा सकेंगे. कॉरपोरेट डेट, गवर्नमेंट सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल और राज्य सरकार के SDL में ETF लाए जा सकेंगे. हालांकि, किसका-कितना एक्सपोजर होगा उस इंडेक्स या ईटीएफ में यह भी तय किया गया है. अगर 80 फीसदी कॉरपोरेट डेट वाला इंडेक्स है, तो वहां पर AAA रेटेड वाली सिक्युरिटीज है, तो उनकी लिमिट 15 फीसदी होगी.
वहीं, अगर AA रेटेड है, तो उसकी लिमिट 12.5 फीसदी होगी. वहीं, A रेटेड पर 10 फीसदी सिंगल सिक्योरिटी लिमिट होगी. इसका मतलब यह है कि बहुत लो क्वालिटी वाले इंडेक्स या ईटीएफ हैं, तो उनका एक्सपोजर कम होगा. जिससे कि रिस्क को कम रखा जा सके. इसी तरह, हाइब्रिड रेटिंग वाले इंडेक्स के लिए भी एक्सपोजर लिमिट तय की गई है. लेकिन, सरकारी कंपनियों की सिक्युरिटीज है, तो जहां 10 फीसदी की लिमिट है, वहां 15 फीसदी होगी.
बिजनेस ग्रुप का मैक्सिमम 25% होगा एक्सपोजर
सर्कुलर के मुताबिक, किसी स्कीम या इंडेक्स में एक बिजनेस ग्रुप का मैक्सिमम एक्सपोजर 25 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा. ताकि, अगर ग्रुप किसी मुश्किल में पड़े, तो उसका असर निवेशकों पर न हो. साथ ही इन स्कीम्स में जब निवेशक बेचना या निकलना चाहें तो इसके लिए 2 मार्केट मेकर अप्वाइंट करना होगा. मार्केट मेकर वो होंगे, जो जरूरत पर निवेशक जब बेचने जाए तो उनको खरीदकर उनको पैसा मुहैया करा सके. लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए कम से कम 2 मार्केट मेकर जरूरी होगा. मार्केट मेकर का इंसेटिव स्कीम के TER के दायरे में ही होगा.
NFO का साइज घटाया
सेबी ने न्यू फंड ऑफर (NFO) का मौजूदा साइज 10 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है. जिससे कि म्यूचुअल फंड हाउस इस तरह की स्कीम को ज्यादा से ज्यादा लाएं. कम निवेशक आते हैं, तो भी कोई दिक्कत न हो. केवल 25 करोड़ रु से अधिक के सौदे ही सीधे MF कंपनी से होंगे. पैसिव फंड से ट्रांसपरेंसी, डाइवर्सिफिकेशन, कम लागत का लाभ होगा.
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