सेबी के टॉप मैनेजमेंट की प्रेस रिलीज पर विरोध कर रहे कर्मचारियों ने रेग्युलेटर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को लेटर लिखा है. इस लेटर में कहा गया कि चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की तरफ से जो प्रेस रिलीज जारी किया गया है उसमें कई बातों को गलत तरीके बताया गया है. तथ्यात्मक आधार पर इसमें कई त्रुटियां हैं. एंप्लॉयी की तरफ से जिन मांगों को उठाया गया है उसे तोड़-मरोड़ कर बताया जा रहा है. हमारी मांगों को लेकर कहा गया कि यह पूरी तरह मॉनिटरी डिमांड है, जबकि वर्किंग कल्चर जैसे मुद्दों को दरकिनार किया गया है. विरोध कर रहे एंप्लॉयी ने चेयरपर्सन बुच के इस्तीफे की मांग की है और 4 सितंबर को जारी प्रेस नोट को वापस लेने को कहा है.

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विरोध कर रहे एंप्लॉयीज का कहना है कि 4 सितंबर को सेबी के टॉप मैनेजमेंट की तरफ से जो प्रेस नोट जारी किया गया उसमें एंट्री लेवल ग्रेड ऑफिसर्स की सैलरी की सही जानकारी नहीं दी गई है. इसके अलावा पूरे मामले को एक्सटर्नल एलिमेंट्स की साजिश से जोड़ने की कोशिश की गई है. प्रेस रिलीज की बातों से साफ पता चलता है कि किस तरह रेग्युलेटरी में टॉप मैनेजमेंट की तरफ से माइक्रो मैनेजमेंट किया जा रहा है. अब तक SEBI के इतिहास में इस तरह की घटना नहीं हुई है.

विरोध कर रहे कर्मचारियों ने यह भी कहा कि वर्तमान लीडरशिप से पहले भी SEBI का फंक्शन अच्छे से चल रहा था और देश-दुनिया में इसकी टॉप क्रेडिबिलिटी थी. सेबी की तरफ से 4 सितंबर को जो प्रेस नोट जारी किया गया है वह अभी काम कर रहे एंप्लॉयी और पूर्व के सभी चेयरपर्सन के लिए अपमान की तरह है. सेबी मैनेजमेंट चेयरपर्सन बुच का एंप्लॉयी के प्रति बर्ताव से पूरी तरह वाकिफ है. सेबी के एंप्लॉयी, जिनकी डायरेक्ट मीटिंग माधबी पुरी बुच के साथ होती है, वे येलो कार्ड औ रेड कार्ड के बारे में अच्छे से जानते हैं. इस तरह का बिहेवियर उनकी लीडरशिप क्षमता पर सवाल उठाता है.

SEBI के स्मूद फंक्शनिंग में यहां के हर एंप्लॉयी का बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है. इस संस्थान की सफलता का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं जाता है.  एक मामला जिसका निपटान पूरी तरह इंटर्नल हो सकता था, उसे मीडिया में लाकर सनसनी फैला दी गई है. इस प्रेस नोट में अपने ही एंप्लॉयी को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.  कुल मिलाकर विरोध कर रहे एंप्लॉयी ने प्रेस नोट के टोन और तथ्यों का विरोध किया है. लीडरशिप से नया प्रेस नोट जारी कर पुराने प्रेस नोट को वापस लेने और पब्लिक एपोलॉजी की मांग की गई है.