Israel-Hamas War Impact: इजरायल पर फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास की ओर से हमले में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. हमास के हमले के बाद इजरायल ने जवाबी एक्‍शन शुरू किया है.  इजरायल और हमास के बीच इस संघर्ष का असर दुनियाभर के बाजारों पर प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से होगा. बाजारों में डर का माहौल है लेकिन पैनिक नहीं है. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) से समझते हैं, इस युद्ध का भारतीय बाजारों पर क्‍या असर होगा और मार्केट के निवेशकों/ट्रेडर्स को किन बातों पर ध्‍यान देने की जरूरत है.

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मार्केट गुरु अनिल सिंघवी का कहना है, इजरायल-हमास युद्ध का हमारे बाजारों पर हल्‍का-फुल्‍का निगेटिव असर देखने को मिलेगा. बहुत ज्‍यादा असर नहीं दिखाई देगा. अभी इस युद्ध की शुरुआत हुई है. किसी को यह पता नहीं कि यह मामला दब जाएगा या बढ़ जाएगा. लेकिन जिस तरह के संकेत आ रहे हैं, उससे तय है कि इजरायल बदले की कार्रवाई करेगा. यह कार्रवाई कितनी बड़ी होगी, यह मायने रखेगा. क्‍योंकि अगर कार्रवाई बड़ी होती है और क्‍या ईरान खुले तौर पर हमास के साथ मैदान में कूद जाएगा, ये डेवलपमेंट बड़े होंगे.

ध्‍यान में रखें ये 3 बातें 

अनिल सिंघवी का कहना है, इजरायल-हमास की लड़ाई के बीच में 2-3 बातों पर जरूर ध्‍यान रखना चाहिए. पहली बात, इस मामले में जो भी नए डेवलपमेंट हो रहे है, उस पर नजर रखें. दूसरी बात, कच्‍चे तेल के दाम पर नजर रखें. जो भी असर होगा, सबसे पहले वह कच्‍चे तेल के दामों में नजर आएगा. अगर कच्‍चे तेल के दाम बढ़ते नजर आए, तो समझिएगा कि टेंशन बढ़ रही है. 

उन्‍होंने कहा, तीसरी अहम बात यह कि बाजार में खरीदारी की हड़बड़ी नहीं करनी है. अहम सपोर्ट लेवल के आसपास बाजार फिर से आ सकता है. ट्रेडिंग रेंज का ऊपरी सिरा देखा 19,700-19,800 के आसपास. वापस अगर 19,250-19,350 के रेंज में अगले 2-3 दिन आता है, तो वहां खरीदारी का मौका बनेगा. बैंक निफ्टी 43,600-43,850 की रेंज में आता है, वहां खरीदारी का मौका बनेगा. अभी अपनी ट्रेडिंग पोजिशन थोड़ी-सी हल्‍की कर लें. लिमिट में कर लें. कम रखें. 

 

शॉर्ट टर्म में असर होगा

अनिल सिंघवी ने कहा, इजरायल- फिलिस्‍तीन युद्ध का शॉर्ट टर्म में असर पड़ेगा, लॉन्‍ग टर्म में कोई चिंता करने की बात नहीं है. क्‍योंकि हम (भारत) नहीं लड़े रहे हैं और हमारे खिलाफ कोई लड़ाई नहीं है. इसलिए डायरेक्‍ट असर नहीं पड़ता. चूंकि हम पूरी दुनिया के कारोबार का हिस्‍सा हैं. डायरेक्‍ट या इनडायरेक्‍ट दुनिया की पॉलिटिक्‍स का हिस्‍सा हैं. इसलिए असर कम या ज्‍यादा सभी पर पड़ता है. लेकिन, एक सीमित असर सभी पर पड़ता है. रूस-यूक्रेन के बीच जब लड़ाई शुरू हुई थी, तब भी ऐसा हुआ था. इजरायल-हमास का संघर्ष इससे थोड़ा अलग है. रूस-यूक्रेन में दो देशों के बीच लड़ाई है. जबकि, इस समय इजरायल का युद्ध एक आतंकी संगठन हमास के साथ है. 

आगे इसमें कुछ अहम मसले हैं. जैसेकि, क्‍या मौजूदा संघर्ष इजरायल और हमास के बीच का ही है. और इसमें इजरायल का रिएक्‍शन होना है. यहां देखना अहम होगा कि इजरायल का रिएक्‍शन किस लेवल का है. इजरायल को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, भारत समेत तमाम देशों से सपोर्ट मिल रहा है. इस लड़ाई में ईरान अगर सीधे तौर पर आता है, तो यह आगे के लिए बाजारों के हिसाब से एक बड़ा ट्रिगर होगा.  

ईरान चूंकि दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा क्रूड सप्‍लायर है. ऐसे में अगर ईरान सीधे इस लड़ाई में आता है, तो इसका असर कच्‍चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा. कच्‍चे तेल की दिशा निर्णायक होगी. ऐसे में बाजार के लिए तीन अहम ट्रिगर होंगे. इजरायल कितना तेज जवाबी हमला करता है. दूसरा, ईरान सीधे तौर पर आता है कि नहीं और तीसरा कि कच्‍चे तेल का भाव कहां जाता है.