Israel-Hamas War: युद्ध की आंच से Crude में गर्मी बढ़ेगी? एनर्जी एक्सपर्ट से समझिये सप्लाई और प्राइस पर क्या होगा असर
Israel-Hamas War Impact on Crude: इजरायल-हमास के बीच लड़ाई आगे बढ़ता और ईरान इसमें आधिकारिक तौर पर शामिल होता है, तो इसका असर ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की सप्लाई पर पड़ सकता है. ईरान हमास का समर्थक है.
Israel-Hamas War Impact on Crude: इजरायल-हमास युद्ध के ऐलान के बाद दुनियाभर के बाजारों में घबराहट है. कमोडिटी बाजार हो या इक्विटी बाजार, सभी पर कमोबेश असर दिखाई दिया. मध्य एशिया में इस लड़ाई का असर रहा कि आज (9 अक्टूबर) शुरुआती कारोबार में कच्चे तेल के भाव 3-4 फीसदी उछल गए. ऐसे में यहां अहम सवाल है कि इस लड़ाई का आगे क्रूड की सप्लाई पर असर होगा या नहीं. दरअसल, इजरायल-हमास के बीच लड़ाई आगे बढ़ता और ईरान इसमें आधिकारिक तौर पर शामिल होता है, तो इसका असर ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की सप्लाई पर पड़ सकता है. ईरान हमास का समर्थक है. ईरान के युद्ध में आता है, तो ग्लोबल मार्केट में 3 फीसदी कच्चे तेल की सप्लाई घट सकती है.
ईरान दुनिया का 5वां सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था, उसके बाद में ढील दी थी. इसके बाद ईरान से क्रूड का निर्यात बढ़ने लगा था. ईरान से करीब 17 लाख बैरल रोजाना से ज्यादा निर्यात शुरू हो गया था. लेकिन अब इस घटनाक्रम के बाद मार्केट को आशंका है कि ईरान खुले तौर पर हमास के समर्थन में आता है, तो उस पर दोबारा से अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लग लाएंगे और ग्लोबल मार्केट 3-4 फीसदी क्रूड की सप्लाई कम हो जाएगी.
कच्चे तेल: क्या बन रहे समीकरण
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने जी बिजनेस के खास शो में कहा कि जिस तरह का माहौल बना है, उसको लेकर पूरी दुनिया के क्रूड के बाजार में चिंताएं उभरी हैं, लेकिन पैनिक नहीं है. मिडिल ईस्ट में जहां यह युद्ध है, वह वो रास्ता है, जहां से तमाम तेल दुनियाभर में जाता है. मिडिल ईस्ट का तेल पश्चिम और अन्य बाजारों में स्वेज कैनाल से होकर निकलता है. उस समंदर से होकर निकलता है, जिसके नजदीक ये सबकुछ हो रहा है. ऐसे में सप्लाई को लेकर चिंताएं हैं. साथ में यह है कि अभी तक अरब के देश खासकर सऊदी अरब का यह प्रयास था कि इजरायल के साथ ऐसे संबंध बनाए जाए, जिससे पूरे मिडिल ईस्ट में एक स्टैबिलिटी आ जाए और जिससे कच्चे तेल की कीमतों में भी स्थिरता आ सके. लेकिन अभी जो कुछ हुआ है, उससे हालात थोड़ा बदले हैं.
नरेंद्र तनेजा का कहना है, अब देखना यह होगा कि इजरायल का रिस्पांस क्या होता है. अगर इजरायल की जवाबी कार्रवाई हवाई हमले तक सीमित रहती है, तो शायद पैनिक न होने पाए. लेकिन अगर ये पूरी तरह युद्ध हो जाता है और ईरान का एंगल भी इसमें आता है, तो परिस्थितियां बहुत कुछ बदल जाएंगी. इसमें मेरा आकलन है कि ईरान इस लड़ाई में शामिल नहीं होगा. वहां कुछ समीकरण बदलेंगे. यहां यह समझना होगा कि इजरायल पर जो हमला हुआ, उसके पीछे प्लान क्या है. प्लान यह है कि सऊदी अरब, यूएई और अरब के तमाम देश इजरायल के साथ एक टेबल पर बैठकर यह बातचीत कर रहे थे कि मिडिल ईस्ट को कैसे स्टेबलाइज किया जाए और वहां शांति लाई जाए. इसको लेकर हमास और ईरान खुश नहीं है. और हमास ने फिर हमला किया.
उनका कहना है, देखना होगा कि अरब देश इस ट्रैप में आ जाते हैं. या, यह समझ जाते हैं कि इसका जवाब हमास को दिया जाएगा लेकिन इसे बढ़ाया नहीं जाएगा. ये सब आज की तारीख में कहना मुश्किल है. आने वाले 5-6 दिन इस बात को स्पष्ट करेंगे कि वहां के हालात क्या होते हैं और क्या ये युद्ध फैलता और वास्तव में बड़ा हो जाता है. अगर ऐसा होता है, तो कमोडिटी मार्केट खासकर कच्चे तेल के बाजार में हलचल हो जाएगी. लेकिन, अभी ये सब जल्दबाजी में कहना उचित नहीं होगा. मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा. लगता नहीं कि ये एक पूर्ण युद्ध बनेगा.
सप्लाई और कीमत पर असर!
नरेंद्र तनेजा का कहना है, मौजूदा हालात में कच्चे तेल की सप्लाई की बात करें, तो इसमें कोई दिक्कत अभी नजर नहीं आ रही है. क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सऊदी अरब लॉन्ग टर्म प्लानिंग कर रहा है. ईरान का जो तेल बाजार में आने लगा था, उस पर थोड़ा पश्चिम के देश अंकुश लगाने का प्रयास कर सकते हैं. ऐसे हालात में क्रूड में 8-10 लाख बैरल की सप्लाई दिक्कत आ सकती है. हालांकि, इससे कीमतों में कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है.
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