IPO Investment:  शेयर बाजार में इस साल IPOs की जबरदस्‍त धूम रही है. इस हफ्ते करीब 5 आईपीओ लिस्‍ट होने जा रहे हैं. इनमें टाटा टेक्‍नोलॉजीज, फेडबैंक फाइनेंशिल सर्विसेज, फ्लेयर राइटिंग, इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (IREDA) और गंधार ऑयल रिफाइनरी शामिल हैं. इस साल अब तक करीब 43 IPOs लिस्‍ट हुए हैं. इनमें कई पब्लिक ऑफर ऐसे रहे हैं, जिनमें निवेशकों को जबरदस्‍त रिटर्न मिला है. IPOs को लेकर निवेशकों में जबरदस्‍त क्रेज देखा जा रहा है. एक्‍सपर्ट मान रहे हैं कि मौजूद समय IPOs में निवेश का अच्‍छा समय है और निवेशकों के लिए इमर्जिंग सेक्‍टर/कंपनियों में बेहतर अवसर है. 

IPO में निवेश का क्‍यों अच्‍छा समय?

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एडलवाइस MF के फंड मैनेजर (हाइब्रिड एंड सॉल्‍यूशंस) भरत लाहोटी का कहना है, भारत में IPOs की एक मजबूत पाइपलाइन है. 77 DRHP फाइल किए जा चुके हैं. इनमें से 29 को मंजूरी मिल गई है, जबकि बाकी DRHP को मार्केट रेगुलेटर की मंजूरी मिलनी बाकी है. आगामी तिमाही में करीब 14 कंपनियां लिस्‍ट होने वाली हैं. इनमें ध्‍यान देने वाली बात है कि आने वाले IPOs काफी आकर्षक है और हमारा मानना है कि मिडकैप/स्‍मॉलकैप स्‍टॉक्‍स में लगातार रिकवरी ओवरऑल पोर्टफोलियो रिटर्न में योगदान देंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्‍यादातर नई लिस्‍टेड आईपीओ कंपनियां इसी कैटेगरी में आती हैं

लाहोटी कहते हैं, टोटल इश्‍यू में फ्रेश इश्‍यू (% में) कई मल्‍टी ईयर हाई पर हैं. बीते 8 साल का डेटा देखें तो प्रतिशत के आधार पर फ्रेश इश्‍यू कुल साइज का 48 फीसदी है. घरेलू डिमांड में रिवाइवल, हाई कैपेसिट यूटिलाइजेशन और कंज्‍यूमर सेंटीमेंट में सुधार आ रहा है. कंपनियां कैपेक्‍स के लिए पैसे जुटा रही हैं, जोकि पॉजिटिव संकेत है. इस कैपेक्‍स के चलते अगले 3-5 साल के लिए जबरदस्‍त सेल्‍स देखने को मिलेगी. जैसेकि इलेक्‍ट्रॉनिक मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनियों ने साल 2022 में कैपेक्‍स के लिए फंड जुटाए, जिसका असर FY2024 में इंक्रिमेंटल सेल्‍स के रूप में दिखाई दे रहा है. 

निवेश की क्‍या हो स्‍ट्रैटजी

भरत लाहोटी का कहना है, मौजूदा माहौल में इमर्जिंग सेक्‍टर्स/कंपनियों में भागीदारी का अच्‍छा अवसर है. कंपनियों का वैल्‍युएशंस वाजिब है. इनमें PEG रेश्‍यो 1.2 गुना है. IPO मार्केट लगातार बेहतर हो रहा है और पाइपलाइन भी मजबूत है. हालांकि सही IPOs का चयन करना सबसे अहम बात है और यह प्रमुख इन्‍वेस्‍टमेंट स्‍ट्रैटजी होनी चाहिए. 

उनका कहना है, आमतौर पर आईपीओ के लिए कम डिमांड दिखती है, जिसके चलते सुस्‍त कैपिटल मार्केट में सब्‍सक्रिप्‍शन कम होता है. अमूमन कंपनियां अपने पीयर्स के मुकाबले हायर ग्रोथ और कुछ सेफ्टी मार्जिन के लिए डिस्‍काउंट पर IPO प्राइस तय करती हैं. जब मार्केट स्‍टेबल होता है, जो ये कंपनियां अर्निंग्‍स, ग्रोथ और वैल्‍युएशन से दमदार रिटर्न देती हैं. मौजूदा करेक्‍शन में इसी तरह का माहौल है. निफ्टी अपने 20,200 के टॉप से करेक्‍ट होकर 18,857 के लेवल पर आ गया है. ऐसे में ज्‍यादातर IPOs आकर्षक और वाजिब वैल्‍युएशंस पर आ रहे हैं.  

(डिस्‍क्‍लेमर: शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)