HP Adhesives IPO: 'हाई रिस्क, हाई रिटर्न', क्या आपको लगाना चाहिए पैसा? मार्केट गुरु अनिल सिंघवी से जानें पॉजिटिव-निगेटिव
HP Adhesives IPO: करीब 75% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB), 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स और 10% हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व है.
HP Adhesives IPO: सॉल्वेंट सीमेंट प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी का IPO आज 15 दिसंबर से 17 दिसंबर तक खुला रहेगा. कंपनी के इश्यू का प्राइस बैंड 262-274 रुपए है. इन्वेस्टर्स कम से कम 50 इक्विटी शेयरों में पैसा लगा सकते हैं. इसके बाद 50 शेयरों के मल्टीपल में बिड लगाई जा सकेगी. रिटेल इन्वेस्टर्स एक लॉट के लिए कम से कम 13,700 रुपए और 14 लॉट के लिए 1,91,800 रुपए का निवेश कर सकते हैं.
113.4 करोड़ रुपए की फ्रेश इक्विटी
HP Adhesives की IPO के जरिए 126 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है. IPO में 113.4 करोड़ रुपए की फ्रेश इक्विटी जारी की जाएगी. इसके अलावा 12.5 करोड़ रुपए के शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचे जाएंगे. ऑफर फॉर सेल में कंपनी के शेयरहोल्डर अंजना हरेश मोटवानी करीब 457,000 शेयर बेचेंगे.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
मार्केट गुरु से समझें पॉजिटिव-निगेटिव
ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर और मार्केट गुरु अनिल सिंघवी के मुताबिक, हाई रिस्क के साथ हाई रिटर्न वाले निवेशक ही इश्यू में पैसा लगाएं. अगर आप ज्यादा जोखिम लेने वाले निवेशक हैं तो बड़े रिटर्न के लिए निवेश कर सकते हैं.
पॉजिटिव- सॉल्वेंट सीमेंट प्रोडक्ट्स में कंपनी मार्केट लीडर है. क्षमता विस्तार के चलते कंपनी का ग्रोथ आउटलुक काफी मजबूत है. ऑपरेशनल आधार पर भी कंपनी मुनाफे में है.
निगेटिव- कंपिटिटिव मार्केट में काफी छोटी कंपनी है. मार्जिन में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहा है.
किस कारोबार में है कंपनी
HP Adhesives कई तरह के प्रोडक्ट बनाती है. इनमें PVC, cPVC और uPVC सॉल्वेंट सीमेंट, सिंथेटिक रबर एडहेसिव, PVA Adhesives, सिलिकॉन एडहेसिव्स शामिल हैं. 30 सितंबर 2021 तक कंपनी के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क 750 से ज्यादा हैं. नई दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरु और इंदौर में कंपनी के 4 डिपो और 50,000 डीलर हैं.
IPO की खास बातें
HP Adhesives के IPO का करीब 75% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB), 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स और 10% हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व है. IPO से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कंपनी अपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने में करेगी. महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के विस्तार की योजना है. साथ ही एक प्लॉट पर अतिरिक्त यूनिट एक्सपेंशन की भी योजना है. मौजूदा प्रोडक्ट की क्षमता बढ़ाने का भी प्लान है.