RBI गवर्नर के इस बयान के बाद भारतीय बैंकों को लेकर ग्लोबल ब्रोकरेज ने बदला रुख! घटा दी रेटिंग
Global Brokerage UBS Downgrade Rating on Indian Bank: ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी UBS ने भारतीय बैंकों पर रेटिंग को घटाया है और टारगेट प्राइस भी कम कर दिया है. ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी UBS ने भारतीय बैंकों को डाउनग्रेड किया है और पूरे सेक्टर पर न्यूट्रल रेटिंग दी है.
Global Brokerage UBS Downgrade Rating on Indian Bank: हाल ही में केंद्रीय बैंक (RBI) ने मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान किया था और रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. लेकिन इसके अलावा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बड़ा स्टेटमेंट और दिया था. आरबीआई गवर्नर ने पर्सनल लोन (Personal Loan) को लेकर एक बात कही थी, एक बयान दिया था. इस बयान के बाद ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी UBS ने भारतीय बैंकों पर रेटिंग को घटाया है और टारगेट प्राइस भी कम कर दिया है. ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी UBS ने भारतीय बैंकों को डाउनग्रेड किया है और पूरे सेक्टर पर न्यूट्रल रेटिंग दी है. लेकिन UBS ने ऐसा क्यों किया और इसके पीछे क्या कारण है, इसके लिए ये रिपोर्ट पूरी पढ़ें. े
UBS ने क्यों किया डाउनग्रेड
यूबीएस ने भारतीय बैंकों को डाउनग्रेड करने का फैसला किया है. ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी ने पूरे सेक्टर पर न्यूट्रल रेटिंग दी है और EPS में 2 से 5 फीसदी की कटौता का भी ऐलान किया है. कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में खास तौर पर SBI, Axis Bank और Kotak Mahindra Bank की रेटिंग को डाउन किया है और टारगेट प्राइस को भी घटाया है.
इन तीन बैंकों पर घटाई रेटिंग
SBI
रेटिंग - बाय से घटाकर सेल
Target - ₹740 से घटाकर ₹530
Axis Bank
रेटिंग - बाय से घटाकर न्यूट्रल
Target - ₹1150 से घटाकर ₹1100
Kotak Mahindra Bank
रेटिंग - सेल पर बरकरार
Target - ₹2050 से घटाकर ₹1875
FY23 में कुल लोन में से अनसिक्योर्ड लोन का हिस्सा
- SBI - 11.1 %
- ICIC Bank - 12.85%
- Axis - 10.7%
- HDFC Bank - 11.9%
UBS ने क्यों घटाई रेटिंग?
UBS ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिटेल अनसिक्योर्ड लोन में डिफॉल्ट का जोखिम ज्यादा है. FY25 तक डिफ़ॉल्ट से क्रेडिट लॉस में 50 से 200 bps की बढ़ोतरी हो सकती है. इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि रेगुलेटर के तरफ से और सख्ती हो सकती है. क़र्ज़ में चल रहे ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन में बढ़ोतरी हो रही है.
पर्सनल लोन लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ी
क़र्ज़ में चल रहे ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन का शेयर FY19 में 12 फीसदी से बढ़कर FY23 में 23 फीसदी हो गया है. 5 से ज्यादा पर्सनल लोन लेने वालों की संख्या 2018 के 1 फीसदी थी, जो कि अब 2023 में बढ़कर 7.7 फीसदी हो गई है. भारतीय बैंक्स के क्रेडिट कॉस्ट में FY25 तक 5 से 10 bps बढ़ोतरी का अनुमान है.
कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाले ग्राहकों को पर्सनल लोन में बढ़ोतरी हो रही है. कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाले ग्राहकों को दिए जाने वाले पर्सनल लोन कुल डिस्बर्समेंट का 22 फीसदी है. पर्सनललोन में NBFC और सरकारी बैंको का ज्यादा एक्सपोज़र है. हालांकि Nifty बैंक के वैल्यूएशन महंगे नहीं होंगे और Nifty बैंक का 1 साल आगे का P/BV (प्राइस टू बुक वैल्यू) 1.9X, ऐतिहासिक 2.2X रहता था.
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