F&O में ट्रेडिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर, NSE ने लॉट साइज बढ़ाया, जानिए पूरी डीटेल
F&O Lot Size: NSE ने F&O के लिए लॉट साइज बढ़ाया है. एनएसई ने सेबी के नए नियम के मुताबिक फ्चूयर एंड ऑप्शन का लॉट साइज बढ़ाया. अब निफ्टी 50 का लॉट साइज 25 से बढ़कर 75 हो गया है, जबकि बैंक निफ्टी का लॉट साइज 15 से बढ़कर 30 हो गया.
F&O Lot Size: फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर है. देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) ने F&O के लिए लॉट साइज बढ़ाया है. एनएसई ने सेबी के नए नियम के मुताबिक फ्चूयर एंड ऑप्शन का लॉट साइज बढ़ाया. अब निफ्टी 50 का लॉट साइज 25 से बढ़कर 75 हो गया है, जबकि बैंक निफ्टी का लॉट साइज 15 से बढ़कर 30 हो गया. अभी चालू कॉन्ट्रैक्ट में अगली एक्सपायरी तक मौजूदा लॉट साइज जारी रहेगा.
बता दें कि इस हफ्ते मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने इंडेक्स फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (Index F&O contracts) में पोजिशन लिमिट बढ़ाई थी. पोजिशन लिमिट बढ़कर 7500 करोड़ रुपये या ओपन इंटरेस्ट का 15% कर दी. नई बढ़ी हुई लिमिट ब्रोकर और क्लाइंट दोनों को मिलकर होगी. ओपन इंटरेस्ट घटने से लिमिट से ज्यादा पोजिशन पर पेनल्टी नहीं लगेगी.
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11 नवंबर से लागू होगा ये नियम
इससे पहले, सेबी ने क्लियरिंग से सीधे क्लाइंट खाते में आने की टाइमलाइन बढ़ा दी गई है. बाजार नियामक सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने शेयरों के निपटान और भुगतान से जुड़े नए नियमों को लागू करने की तारीख 14 अक्टूबर से बढ़ाकर 11 नवंबर 2024 कर दी है.
सेबी के नए दिशा निदर्शों के मुताबिक T+1 के तहत क्लाइंट खाते में शेयर आने का वक्त भी बदलेगा. सेटलमेंट के अगले दिन के 1:30 PM के बदले जिस दिन सेटलमेंट उसी दिन 03:30 PM पर शेयर खाते में आएंगे. पे आउट के नियम बदलने का ये असर है. सेबी ने यह फैसला बाजार के स्टेक होल्डर्स (स्टॉक एक्सचेंज,डिपॉजिटरी,ब्रोकर) को नए सिस्टम के साथ अपने तकनीकी ढांचे को पूरी तरह से इंटीग्रेड करने के लिए अधिक समय देने के लिए लिया है.
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सेबी के नियमों के तहत T+1 सेटलमेंट के तहत, शेयरों की खरीद-बिक्री के अगले दिन (T+1) शाम 1:30 बजे तक निवेशकों के डीमैट खाते में शेयर जमा हो जाते थे. अब यह समय बदलकर उसी दिन शाम 3:30 बजे कर दिया गया है. इसके अलावा पहले शेयरों का निपटान क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के जरिए होता था, जिसके बाद ब्रोकर के खाते में और फिर निवेशकों के खाते में शेयर ट्रांसफर होते थे.पहले शेयरों का निपटान क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के माध्यम से होता था, जिसके बाद ब्रोकर के खाते में और फिर निवेशक के खाते में शेयर ट्रांसफर होते थेय नए नियमों के तहत, शेयर सीधे क्लियरिंग कॉर्पोरेशन से निवेशक के डीमैट खाते में ट्रांसफर होंगे.