वित्त वर्ष 2018- 19 में रिकॉर्ड 23.7 करोड़ लीटर एथनॉल आपूर्ति का अनुबंध किये जाने के साथ ही समाप्त वित्तवर्ष में पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण की मात्रा 7.2 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है. चीनी उद्योगों के पमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने यह जानकारी दी है. इस्मा ने कहा कि इससे पहले विपणन वर्ष 2017-18 (दिसंबर से नवंबर) में 150 करोड़ रुपये के गन्ना रस की आपूर्ति के बीच एथनॉल सम्मिश्रण की मात्रा 4.22 प्रतिशत थी.

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इस्मा ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्यों और द्वीप क्षेत्रों को छोड़कर देश में पेट्राल में 10 प्रतिशत तक मिश्रण के लिए 330 करोड़ लीटर एथनॉल की आवश्यकता होगी. इसके मुकाबले 2018-19 के लिए 237 करोड़ लीटर एथनॉल आपूर्ति के अनुबंध किए गए हैं. इस्मा ने कहा कि पिछले साल के 160 करोड़ लीटर के आंकड़े को पीछे छोड़ते हुए यह अब तक का सबसे बड़ा आपूर्ति अनुबंध है.

इस्मा ने कहा कि अगर चालू विपणन वर्ष में पूरी 237 करोड़ लीटर को सफलतापूर्वक मिश्रित किया जाता है, तो इस पर्यावरण-अनुकूल जैव- एथनॉल द्वारा लगभग 7.2 प्रतिशत पेट्रोल की खपत का विकल्प उपलब्ध हो जायेगा. नई जैव ईंधन नीति 2018 में वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का स्तर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सरकार वर्ष 2022 तक पेट्रोल के साथ 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का पहला पड़ाव हासिल करने का लक्ष्य बना रही है.

इस नीति में देश में एथनॉल बनाने के लिए सीरे के अलावा अन्य सामग्रियों का उपयोग करने की भी अनुमति है. इसके तहत गन्ने का रस, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, सड़े हुए आलू, मक्का, अधिशेष खाद्यान्न तथा अन्य वस्तुओं को शामिल किया गया है.

इस्मा ने कहा, "एथनॉल ऑक्सीजन समृद्ध है और इसलिए, इसे दुनिया में सबसे अच्छा ऑक्सीजन वाला माना जाता है. अतिरिक्त ऑक्सीजन वाहन के इंजन के भीतर पेट्रोल के अधिक कुशलता से जलने में संतुलन पैदा करने में मदद करता है, जिससे वाहनों का उत्सर्जन कम होता है और जिससे पर्यावरण प्रदूषण कम होता है. इस प्रकार, एथनॉल हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करता है.