हाल ही में जीरोधा (Zerodha) के नितिन कामत (Nithin Kamath) और निखिल कामत (Nikhil Kamath) स्टार्टअप (Startups) की दुनिया के सबसे बड़े दानवीर बने हैं. हर तरफ इनकी तारीफें हो रही हैं. इसी बीच नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) के हफ्ते में 70 घंटे काम (70 Hour Work) करने वाला बयान सोशल मीडिया पर अभी भी बहस का मुद्दा बना हुआ है. इस बहस को निखिल कामत के भी एक बयान ने हवा देने का काम किया है. निखिल कामत ने कहा है कि हफ्ते में 4 दिन काम करने वाले देशों के देखें तो वह पूंजीवादी देशों जितने अच्छे से काम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने सीधे-सीधे तो नारायण मूर्ति के बयान का समर्थन नहीं किया, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कही गई उनकी बात कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है.

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निखिल कामत ने कहा कि अगर हम मानते हैं कि पूंजीवाद ही आगे बढ़ने का रास्ता है तो फिर हमें कॉम्पटीटिवनेस को ध्यान में रखने की जरूरत है. हर किसी को हर किसी के साथ कॉम्पटीशन में आगे होना चाहिए. अगर आप काम के घंटे के आधार पर कॉम्पटीशन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सक्षम होना चाहिए. 

नितिन कामत चाहते हैं वर्क-लाइफ-बैलेंस

नितिन कामत ने मई 2021 में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि शाम 6 बजे के बाद और छुट्टी के दिन उन्होंने काम से जुड़ी कोई भी बात नहीं करने का नियम बनाया है. ऐसा करने के पीछे उनका मकसद था कि इससे कर्मचारियों की मदद हो और उन्हें दिन भर काम कर के थकान से चूर हो जाने या मानसिक रूप से दबाव ना महसूस हो. उन्होंने तो यह भी कहा था कि मल्टीटास्किंग आपकी परफॉर्मेंस को खराब करती है और इससे आपका दिमाग भी डैमेज हो सकता है. उन्होंने अपनी बात को मजबूती देते हुए एक लिंक भी शेयर किया था. 

देखा जाए तो वर्क-लाइफ-बैलेंस को लेकर दोनों ही भाइयों का मत कुछ अलग-अलग लगता है. हालांकि, नितिन कामत का ये ट्वीट करीब ढाई साल पुराना है. ऐसे में अगर अब उनका मन बदल गया हो तो कह नहीं सकते.

हाल ही में स्टार्टअप की दुनिया के दानवीर बने हैं कामत बंधु

ब्रोकरेज स्टार्टअप (Startup) जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर्स नितिन कामत और निखिल कामत ने दानवीरों की लिस्ट में एक अहम जगह बना ली है. अगर स्टार्टअप की दुनिया की बात करें तो वह सबसे बड़े दानवीर बनकर उभरे हैं. Hurun की Philanthropist List 2023 लिस्ट के अनुसार उन्होंने क्लाइमेट चेंज और एनवायरमेंट्ल सस्टेनेबिलिटी के लिए करीब 110 करोड़ रुपये दान में दे दिए हैं. बता दें कि अब निखिल कामत सबसे कम उम्र के दानवीर बन गए हैं, जो इस लिस्ट में शामिल हुए हैं. दानवीरों की लिस्ट में नितिन कामत (Nithin Kamath) और निखिल कामत (Nikhil Kamath) 12वें नंबर पर हैं. 

क्या कहा था नारायण मूर्ति ने?

दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने सलाह दी थी कि देश के युवा को हर रोज करीब 12 घंटे काम करना चाहिए, ताकि भारत तेजी से तरक्की कर सके. उन्होंने कहा था कि जब युवा हफ्ते में 70 घंटे काम (Working Hours) करेंगे, तभी भारत आगे निकल पाएगा. उन्होंने यह बातें पॉडकास्ट 'द रिकॉर्ड' के लिए इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई से बात करते हुए कही थी.

नारायण मूर्ति ने कहा था कि मौजूदा वक्त में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है. यहां हमारा मुकाबला सबसे ज्यादा चीन से है और ऐसे में युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा. जापान और जर्मनी ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद कुछ ऐसा ही किया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को भी भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में अहम कदम उठाने होंगे. अगर हमें प्रगतिशील देशों से मुकाबला करना है तो नौकरीशाही को बेहतर बनाना होगा. वह बोले कि युवाओं को कहना चाहिए ये मेरा देश है और मैं हफ्ते में 70 घंटे काम करूंगा. उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, लेकिन देश के लोगों को आगे बढ़कर योगदान देना होगा. जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, तब तक बेचारी सरकार क्या कर सकती है.

नारायण मूर्ति बोले कि वर्क प्रोडक्टिविटी के मामले में चीन एक जीता-जागता उदाहरण है, जहां लोग भारत की तुलना में अधिक देर काम करते हैं. देश के सभी युवाओं से उन्होंने आग्रह किया है कि इसे महसूस करें और अगले 20-50 सालों तक दिन में 12 घंटे काम करें, ताकि भारत जीडीपी के मामले में नंबर-1 या 2 बन जाए. 

नारायण मूर्ति ने सुनाया एक दिलचस्प किस्सा

टेक्नोलॉजी की उपलब्धता बताते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि एक उनके रसोइया ने कहा कि सर आपका डायबिटीज से बचाने वाला आटा खत्म होने वाला है, तो अभी ऑर्डर करना होगा. इस पर मूर्ति ने उसे अपने पास बैठा कर अमेजन से ऑर्डर किया. वह बोले मेरा रसोइया युवा है और ओडिशा से है, उसे ऑनलाइन ऑर्डर के बारे में पता है, उसे पता है कि 2 महीने के लिए कितना आटा चाहिए और उसने तुरंत ऑर्डर कर दिया. इससे समझ आता है कि तकनीक कितनी आगे बढ़ चुकी है. पहले के जमाने में राशन खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता थ, लेकिन आज सब कुछ सिर्फ एक क्लिप पर उपलब्ध है. मूर्ति ने कहा कि जब उन्होंने आटा ऑर्डर किया तो रात के 10 बज रहे थे, जबकि पुराने जमाने में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.