हाल ही में ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म जीरोधा (Zerodha) ने वित्त वर्ष 2023 के नतीजे जारी किए हैं. कंपनी का रेवेन्यू (Revenue) 38.5 फीसदी का उछलकर 6,875 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. कंपनी मुनाफा (Profit) टैक्स काटने के बाद करीब 38.8 फीसदी बढ़कर 2,907 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है. स्टार्टअप ईकोसिस्टम में जीरोधा एक ऐसा स्टार्टअप है, जो शुरुआत से लेकर आज कर मुनाफे में है. वहीं इस स्टार्टअप ने आज तक कोई फंडिंग नहीं उठाई है, यानी यह बूटस्ट्रैप्ड है. तमाम लोग जीरोधा का उदाहरण देते हैं कि स्टार्टअप ऐसा होना चाहिए, लेकिन जीरोधा के बिजनेस पर भी एक खतरा मंडरा रहा है.

रेवेन्यू के लिए F&O पर निर्भरता है रिस्क

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जीरोधा के सीईओ नितिन कामत ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में शानदार ग्रोथ देखी है. कंपनी का रेवेन्यू और मुनाफा दोनों की बढ़े हैं. जीरोधा का सबसे ज्यादा रेवेन्यू फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग से आता है. ऐसे में कामत ने कहा है कि रेवेन्यू के लिए F&O पर ज्यादा निर्भर होना एक बड़ा रिस्क फैक्टर है. इसमें बड़ा रिस्क इस बात का है कि अगर कोई रेगुलेशन आता है या अगर कोई प्रतिद्वंद्वी इस सेक्टर में जीरोधा से बेहतर विकल्प मुहैया कर देता है तो भी कंपनी का बिजनेस प्रभावित होना तय है.

सेबी के रेगुलेशन से होगा नुकसान

नितिन कामत ने सेबी के कंसल्टेशन पेपर को लेकर भी बात की है, जिसमें स्टॉक ब्रोकर्स को फिनफ्लुएंशर्स के साथ एसोसिएशन को बंद करने का प्रस्ताव है. वैसे तो नितिन कामत ने सेबी के प्रस्ताव का समर्थन किया है, लेकिन ये भी कहा है कि अगर ऐसा रेगुलेशन आ जाता है तो इससे हमारा रेफेरल प्रोग्राम बंद हो जाएगा, जिससे हमारे बिजनेस का करीब 10 फीसदी आता है.

कई सालों से यह भी आवाज उठ रही है कि यूट्यूब और इंटरनेट पर जो फिनफ्लुएंसर हैं, उनमें अधिकतर तो किसी अथॉरिटी के तहत रजिस्टर्ड भी नहीं हैं. ऐसे में इन पर भी बैन लगाने की मांग है. अगर इन पर बैन लग जाता है तो फिर उसका सीधा असर जीरोधा के बिजनेस पर देखने को मिलेगा. मौजूदा वक्त में जीरोधा विज्ञापन पर कोई पैसा नहीं खर्च करता है, लेकिन तमाम फिनफ्लुएंशर्स के पास जीरोधा, अपस्टॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म हैं और वह इन्हीं के जरिए फाइनेंस टिप्स देते हैं. साथ ही इन प्लेटफॉर्म के रेफेरल प्रोग्राम के तहत ये फिनफ्लुएंसर तगड़ी कमाई करते हैं, जिससे इनडायरेक्ट तरीके से जीरोधा या बाकी किसी भी ब्रोकरेज फर्म का खूब विज्ञापन होता है. ऐसे में सेबी का एक कदम जीरोधा की कमाई को प्रभावित कर देगा.

तो क्या फिर प्रॉफिटेबल नहीं रहेगी जीरोधा?

जब नितिन कामत ये कहते हैं कि उनकी कंपनी का रेवेन्यू प्रभावित होगा, तो इसका ये मतलब नहीं है कि कंपनी को नुकसान होगा. हो सकता है कि कंपनी का मुनाफा घट जाए, लेकिन अभी तक जीरोधा का जो बिजनेस मॉडल है, वह कंपनी को फायदे में रखने में मदद कर रहा है. वहीं नितिन कामत ने खुद कहा है कि हमारी नेट वर्थ, जो कि कस्टमर फंड का करीब 30 फीसदी है और कंपनी पर कोई कर्ज ना होना, हमारे लिए फायदे वाली बातें हैं. ऐसे में अगर किसी वजह से बिजनेस प्रभावित होता है तो भी हम उससे निपटने के लिए और बिजनेस मॉडल में जरूरी बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

अकाउंट खोलने पर चार्ज 200 रुपये लगता रहेगा

नितिन कामत का स्टार्टअप जीरोधा मुनाफे में है, उसकी एक वजह ये भी है कि वह मुफ्त में अकाउंट खोलने की सुविधा नहीं देते हैं. उन्होंने कहा है कि जीरोधा अभी अकेला ऐसा ब्रोकर है, जो अकाउंट खोलने के लिए पैसे लेता है. उन्होंने कहा कि इसकी कुछ वजहें हैं. अकाउंट खोलने में केवाईसी, डक्युमेंटेशन, ह्यूमन वेरिफिकेशन, ई-साइन जैसे कामों में असल में पैसे खर्च होते हैं. अगर ये पैसे ग्राहक से चार्ज नहीं किए जाएंगे तो उसकी भरपाई के लिए बिजनेस पर प्रेशर आ जाएगा. इससे फिर ग्राहकों पर दबाव बनाने की कोशिश की जाएगी कि वह ट्रांजेक्शन करें, ताकि हमारी लागत निकल सके. ग्राहकों के लिए यह लंबे वक्त में सही नहीं है. अगर हम ऐसा करते हैं तो इससे जीरोधा की नो-स्पैम पॉलिसी, टीम के लिए नो रेवेन्यू टारगेट जैसे सिद्धांतों को झटका लगेगा. यही वजह है कि हम विज्ञापन पर भी बहुत खर्च नहीं करते हैं. 

अकाउंट खोलने पर 200 रुपये की फीस लगाने की एक बड़ी वजह ये भी है कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग एक सीरियस बिजनेस है. इसमें रिस्क भी होता है. ऐसे में हम अकाउंट खोलने की फीस लेकर ये भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सिर्फ वही लोग जीरोधा पर अकाउंट खोलें जो वाकई में सीरियस हैं, ना कि सिर्फ मौज-मस्ती के लिए लोग अकाउंट खोल लें.