Food Safety Day: ये 3 स्टार्टअप कर रहे हैं आपके खाने की सुरक्षा, ताकि आपको ना हो फूड प्वाइजनिंग
फूड सेफ्टी कितना अहम मुद्दा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हर साल 7 जून को दुनिया भर में फूड सेफ्टी डे (World Food Safety Day 2023) मनाया जाता है.
खाने यानी फूड की सुरक्षा (Food Safety) को लेकर तमाम देशों की सरकारें कुछ ना कुछ कदम उठाती हैं. अब तो कई सारी कंपनियां और स्टार्टअप्स भी फूड सेफ्टी को अहम मुद्दा लेकर कई तरह के प्रोडक्ट और सेवाएं लाई हैं. फूड सेफ्टी कितना अहम मुद्दा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हर साल 7 जून को दुनिया भर में फूड सेफ्टी डे (World Food Safety Day 2023) मनाया जाता है. यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 20 दिसंबर 2018 को हर साल 7 जून को फूड सेफ्टी डे मनाने का फैसला किया था. उसके बाद 7 जून 2019 को पहली बार फूड सेफ्टी डे मनाया गया और अब हर साल इसे मनाया जाता है. हर साल दुनिया भर में खाने से होने वाली बीमारियों के करीब 60 करोड़ मामले सामने आते हैं. यही वजह है कि फूड सेफ्टी बहुत अहम है. आइए जानते हैं 3 ऐसे स्टार्टअप के बारे में जो फूड सेफ्टी की दिशा में काम कर रहे हैं.
Delmos Research
मिलावटी दूध हमारी सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है. इससे फूड प्वाइजनिंग हो सकती है और लंबी अवधि में पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. छोटे बच्चों में तो मिलावटी दूध के गंभीर नतीजे देखने को मिल सकते हैं, जबकि दूध का सेवन सबसे ज्यादा बच्चे ही करते हैं. ऐसे में डेल्मोस रिसर्च ने Delstrips नाम का एक रैपिड टेस्ट निकाला है, जिसकी मदद से आसानी से दूध में मिलावट चेक की जा सकती है. यह एक स्ट्रिप होती है, जिस पर दूध की कुछ बूंदें गिरानी होती हैं और स्ट्रिप के रंग बदलने के हिसाब से दूध में मिलावट का पता चलता है. इसे 2017 में करनाल के रहने वाले बब्बर सिंह और मनोज कुमार मौर्या ने शुरू किया था.
Coolcrop
नीरज मराठे ने 2021 में इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी, जिसका हेडक्वार्टर गुजरात में है. इसका मकसद किसानों को ऐसे सॉल्यूशन मुहैया कराना है, जिनकी मदद से वह अपनी खराब होने वाली फसल को अच्छे से स्टोर कर सकें. स्टोरेज की सुविधा ना होने की वजह से किसानों को अपनी खराब होने वाली फसल को बहुत ही कम दाम पर बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें नुकसान होता है. कूलकॉर्प की मदद से किसानों को सोलर से चलने वाला सस्ता कूलिंग स्टेशन मुहैया कराया जाता है, जिसे किसानों का एक समूह या सहकारी समितियां इस्तेमाल कर सकती हैं. इससे किसानों को ना सिर्फ अच्छी कमाई करने का मौका मिलता है, बल्कि फसल को सुरक्षित रखते हुए क्वालिटी भी मेंटेन की जाती है.
Qzense Labs
इस स्टार्टअप ने सेंसर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जिससे फलों और सब्जियों की सेहत का पता चलता है. यह स्टार्टअप शार्क टैंक के पहले सीजन में भी आया था. फूड सेफ्टी की दिशा में यह स्टार्टअप अहम योगदान दे रहा है. इसकी शुरुआत रूबल चिब और डॉ. सृष्टि बत्रा ने 2019 में की थी. इस स्टार्टअप के डिवाइस की मदद से फार्म से लेकर लॉजिस्टिक्स और रिटेल मार्केट तक में फलों और सब्जियों की क्वालिटी को अंदर से चेक किया जा सकता है. इस स्टार्टअप के दो डिवाइस हैं QScan और Qlog. स्टार्टअप के QScan डिवाइस की मदद से फलों के पास रखते हुए इंफ्रारेड तकनीक से उसकी हेल्थ पता चलती है. वहीं Qlog डिवाइस को फैक्ट्रियों में सेंसर के तौर पर लगाया जाता है, जिससे स्टोर में रखे प्रोडक्ट्स की हेल्थ पता चलती है.