पेट (PET) बोतलों को रीसाइकिल (Recycle) कर के बने फाइबर से कपड़े बनाने वाले स्टार्टअप UNIREC ने 1.90 लाख डॉलर यानी करीब डेढ़ करोड़ रुपये की फंडिंग (Startup Funding) हासिल की है. यूनीरेक को यह फंडिंग सिंगापुर के एक लोकप्रिय सीड फंड BeyondSeed से मिली है. स्टार्टअप के अनुसार इस फंडिंग से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल बिजनेस को बढ़ाने और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बेहतर बनाने में किया जाएगा.  बता दें कि ये कंपनी टीशर्ट, शर्ट, जैकेट, ट्राउजर जैसे तमाम कपड़े बनाती है.

करीब 1.5 करोड़ का है टर्नओवर

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इस स्टार्टअप की शुरुआत जुलाई 2021 में कपिल भाटिया ने की थी. करीब 1.5 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ यूनीरेक का बिजनेस पूरे देश में फैला हुआ है. कपिल बताते हैं कि एक यूनिफॉर्म एग्जिबिशन के दौरान एक ग्राहक ने उसने पेट बॉटल से कपड़े बनाने के बारे में पूछा था. इसके बाद से कपिल ने इस तरह के कपड़े बनाने के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया. 

बेटे के सवाल ने झकझोर दिया कपिल को

कोरोना की दूसरी लहर के वक्त कपिल के 8 साल के बेटे ने उनसे कहा कि पापा, 2050 तक समुद्र में प्लास्टिक की संख्या मरीन लाइफ के जीवों से भी ज्यादा हो जाएगी. इस पर कपिल बोले कि उन्होंने भी यह पढ़ा है, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनके बेटे का अगला सवाल उन्हें झकझोर कर रख देगा. उनके बेटे ने पूछा कि आप लोग आखिर ये कर क्या रहे हो? बच्चे की बात सुनने के बाद से कपिल सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर हम अगली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ रहे हैं. 

कार्बन एमिशन को कम कर रही कंपनी

इसके बाद कपिल ने तय किया कि वह पेट बॉटल को रीसाइकल कर के बने फाइबर से कपड़े बनाएंगे. उन्होंने इसके लिए UNIREC की शुरुआत की, जिसका मतलब है यू एंड आई रीसाइकिल (You and I Recycle) यानी आप और हम मिलकर रीसाइकिल करेंगे. रीसाइकिल पेट बोतल से कपड़ा बनाने में कार्बन एमिशन वर्जिन प्लास्टिक से कपड़े बनाने की तुलना में 40 फीसदी कम होता है. 

1 टीशर्ट बनाने में करीब 10 किलो कार्बन एमिशन होता है और रीसाइकिलिंग के जरिए टीशर्ट बनाने में करीब 40 फीसदी एमिशन कम हो रहा है. अभी तक ये स्टार्टअप करीब 50 हजार टीशर्ट बना चुका है. इसका मतलब है कि करीब 2 लाख किलो कार्बन एमिशन कम कर चुका है. बता दें कि रीसाइकिलिंग के बाद बनी टीशर्ट की लागत भी आम टीशर्ट से महज 25 फीसदी ही अधिक होती है.