ठंडे पानी की मछली 'ट्राउट' से किसान कर रहे हैं मोटी कमाई, उत्तराखंड में बढ़ रही है फिश फार्मिंग
ट्राउट साफ और ठंडे पानी की मछली होती है. इसमें प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है और यह मछली बहुत महंगी बिकती है. ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इसका पालन होता है.
ट्राउट मछली के लिए पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस चाहिए और ग्लेशियर से आने वाला पानी ट्राउट मछली के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ट्राउट मछली एक शाकाहारी मछली है और इसमें केवल एक कांटा होता है.
ट्राउट मछली के लिए पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस चाहिए और ग्लेशियर से आने वाला पानी ट्राउट मछली के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ट्राउट मछली एक शाकाहारी मछली है और इसमें केवल एक कांटा होता है.
उत्तराखंड में भी किसानों ने ट्राउट फिशिंग शुरु कर दी है. जानकार बताते हैं कि ट्राउट मछली दिल के मरीजों के लिए रामबाण का काम करती है. यह मछली ठंडे पानी में रहती है. अभी हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में ट्राउड मछली पालन का काम किया जाता है. उत्तराखंड में उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और चकराता में कुछ किसानों ने ट्राउट फार्मिंग का काम शुरू किया है. ट्राउट मछली 1,000 से 1500 रुपये प्रति किलो तक बिकती है.
किसानों की आमदनी बढ़ा रही है ट्राउट
उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के बार्सू गांव में कपिल ने ट्राउट मछली पालन का काम शुरु किया है. कपिल से पहले उनके पिता जगमोहन सिंह रावत ने ट्राउट पालन किया था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए. ट्राउट पालन के लिए उन्होंने 15 मीटर लम्बा,1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरे टैंक बनवाए, लेकिन जानकारी की कमी के चलते वह इस काम में सफल नहीं सके.
नौकरी छोड़ शुरू किया ट्राउट पालन
कपिल रावत ने बताया कि वह नौकरी करते थे. मछली पालन की उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन पिता की नाकामयाबी से सबक लेकर नए सिरे से और वैज्ञानिक तकनीक से मछली पालन करने की ठानी. कपिल ने बताया कि उन्होंने नौकरी के दौरान ही ट्राउन फार्मिंग के बारे में जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया था. फिर एक दिन नौकरी छोड़कर कृषि वैज्ञानिकों से इस बारे में तकनीकी जानकारी हासिल की.
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पुराने टैंकों के दोबारा से बनवाया. टैंक ऊपर-नीचे बनाए, ताकि एक टैंक से पानी होता हुआ दूसरे टैंक में आए. अब इन टैंकों में ट्राउट मछली के बीज डाले गए. मछली विभाग की तरफ से यह काम शुरू करने के लिए करीब ढाई लाख रुपये का अनुदान भी मिला.
चमोली-गढ़वाल मंडल के मछली पालन विभाग में ट्राउट मछली के बीज तैयार किए जाते हैं. कपिल के टैंकों में अभी 4,000 ट्राउट मछली के बीज हैं और इनसे उन्हें अगले 4 महीने में 1 टन मछलियां मिलेंगी.
कपिल ने कहा कि वे ट्राउट मछली पालन का बडा प्रोजेक्ट लगाना चाहते हैं जिसमें कई लोगों को रोजगार मिल सके और उनके गांव में ही मछली का बीज तैयार हो.
प्रोटीन से भरी ट्राउट मछली
ट्राउट मछली उत्तरकाशी के डोडीताल में पाई जाती है. 120 साल पहले नार्वे के नेल्सन ने डोडीताल में ट्राउट मछली के बीज डाले थे और तब से अब तक डोडीताल में एंगलिंग के लिए देश-विदेश के सैलानी यहां पहुचते हैं.
ट्राउट मछली में केवल एक कांटा होता है. कांटा निकालने के बाद आप इसे चिकन और मटन की तरह पका सकते हैं. ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फैटी एसिड नामक तत्व होता है जो बहुत अच्छा पोषक तत्व है.
ट्राउट के लिए उत्तराखंड महफूज
मछली पालन विभाग उत्तराखंड में कई जिलों में ट्राउट मछली पालन को लेकर किसानों को जागरुक कर रहा है. उत्तरकाशी जिले के मछली पालन विभाग के उप निदेशक प्रमोद शुक्ला ने मुताबिक, ट्राउट मछली के लिए पानी का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस चाहिए और ग्लेशियर से आने वाला पानी ट्राउट मछली के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ट्राउट मछली एक शाकाहारी मछली है और इसमें केवल एक कांटा होता है.
(रिपोर्ट- संदीप गुसाईं/उत्तरकाशी)
05:48 PM IST