भारत में स्टार्टअप (Startup) कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. आज के वक्त लगभग हर समस्या का समाधान करने वाला एक स्टार्टअप है. वहीं जिस समस्या का समाधान नहीं है, कोई ना कोई स्टार्टअप उसका हल ढूंढने की कोशिश में लगा हुआ है. ऐसा ही एक स्टार्टअप है Dropsy, जो यहां बैठे-बैठे विदेश में ई-कॉमर्स (E-commerce) बिजनेस (Business) करने का मौका दे रहा है. आप इस स्टार्टअप के जरिए करीब 10 हजार रुपये से बिजनेस शुरू कर सकते हैं और विदेश में प्रोडक्ट बेच सकते हैं. 

क्या करता है ये स्टार्टअप?

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यह स्टार्टअप अपैरल समेत कई चीजों की मैन्युफैक्चरिंग करता है. साथ ही यह लोगों को मौका देता है कि वह इसके साथ जुड़कर अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में प्रोडक्ट्स को बेचें. यह प्रोडक्ट खुद ड्रॉप्सी की तरफ से ही मुहैया कराए जाते हैं. विदेश में इन सामानों को बेचने के लिए ड्रॉप्सी की तरफ से अमेजन के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अकाउंट भी खुलवाया जाता है. बस इसके बाद आपका काम सिर्फ इतना है कि जब-जब कोई ऑर्डर आए, उसके बारें ड्रॉप्सी को बता दें और आपके ऑर्डर को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है इस स्टार्टअप की.

यूपी के नोएडा का यह स्टार्टअप करीब साल भर पहले ही शुरू हुआ है और तेजी से बिजनेस को बढ़ा रहा है. इसकी शुरुआत उपेंद्र यादव और सुजीत यादव ने साथ मिलकर महज 50 हजार रुपये से की थी. साल भर में ही इस स्टार्टअप का टर्नओवर करीब 70 लाख रुपये का हो गया है. वहीं अगर सारे सेलर्स के साथ मिलकर टोल सेल यानी ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू की बात करें तो यह आंकड़ा 50-60 करोड़ रुपये को पार कर चुका है.

ड्रॉप्सी से जुड़कर कैसे शुरू करें बिजनेस?

अगर आप भी ड्रॉप्सी के साथ जुड़कर बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो पहले आपको स्टार्टअप की वेबसाइट thedropsy.com पर जाना होगा और वहां दी गई प्रोसेस के जरिए कंपनी से जुड़ना होगा. आपको कम से कम 10 हजार रुपये तो खर्च करने ही होंगे, जिसके बाद ही आप ड्रॉप्सी के साथ जुड़कर बिजनेस शुरू कर सकते हैं. कंपनी के तरफ से सेल्स गारंटी जैसे कई अन्य प्लान भी दिए जाते हैं. ऐसे में अगर आप अधिक पैसे लगा सकते हैं तो आप अधिक कमाई भी कर सकते हैं.

चुनौतियां भी कम नहीं

ड्रॉप्सी के फाउंडर्स ने बताया कि शुरुआती चरण में उन्हें प्रोडक्ट की शिपिंग में काफी चुनौतियां आईं. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि प्रोडक्ट्स को दूसरे देश भेजना होता था और इसमें कई तरह की परेशानियां आती हैं. कंपनी को प्रोडक्ट की क्वालिटी भी विदेश के हिसाब से तय करनी होती है. कपड़े-जूते के साइज वहां के लोगों के हिसाब से और उनकी पसंद के हिसाब से तय करने होते हैं. वहीं शुरुआत में लोगों को ये चुनौती भी झेलनी पड़ी कि लोग इस बिजनेस मॉडल को नहीं समझ पा रहे थे. हालांकि, अब कंपनी स्मूथ तरीके से चल रही है और तेजी से बिजनेस बढ़ रहा है.