Keydroid: पायलट रजत का ये Startup गाड़ी की चाबी को बनाता है स्मार्ट, कीलेस एंट्री और ट्रैकिंग समेत मिलते हैं कई फीचर
आज के वक्त में हर प्रॉब्लम के लिए एक स्टार्टअप है, जो सॉल्यूशन दे रहा है. ऐसे में एक स्टार्टअप है Keydroid, जो एक मामूली सी गाड़ी को भी स्मार्ट बना देता है.
तेजी से बदलते दौर में गाड़ियों का इस्तेमाल भी काफी बढ़ चुका है. एक वक्त था जब गाड़ी खरीदते वक्त लोग सिर्फ उसकी माइलेज या ज्यादा से ज्यादा उसके लुक को देखते थे. वहीं आज के वक्त में लोग गाड़ी के इंटीरियर, उसके फीचर, उसके स्मार्ट कंट्रोल्स सब कुछ देखते हैं. सस्ती गाड़ियों में तो आज भी बहुत ही कम फीचर मिलते हैं, लेकिन महंगी लग्जरी गाड़ियों में बहुत सारे स्मार्ट फीचर होते हैं. हालांकि, आज भी कई लग्जरी गाड़ियों में कीलेस एंट्री जैसा फंक्शन नहीं है. खैर, आज के वक्त में हर प्रॉब्लम के लिए एक स्टार्टअप है, जो सॉल्यूशन दे रहा है. ऐसे में एक स्टार्टअप है Keydroid, जो एक मामूली सी गाड़ी को भी स्मार्ट बना देता है.
Keydroid की शुरुआत मार्च 2021 में हुई थी, लेकिन कंपनी ने अपना पहला प्रोडक्ट लॉन्च किया 2022 की पहली छमाही में. मार्च 2023 से इस स्टार्टअप ने सेल्स की शुरुआत की. इसे शुरू किया पेशे से पायलट रजत जयसवाल ने. इस स्टार्टअप को शुरू करने में उन्हें मदद मिली उनकी पत्नी ईशा कुहार से और दोस्त सौविक दास से, जो स्टार्टअप में को-फाउंडर्स भी हैं. बिजनेस की शुरुआत हुई दिल्ली-एनसीआर से और अप्रैल तक ये स्टार्टअप अपनी सेवाएं पूरे देश में देने लगा. कंपनी लगातार खुद को बेहतर बनाने में लगी हुई है. वेबसाइट को भी बहुत बेहतर किया है और ढेर सारा ऐसा कंटेंट वहां डाला है, जिसकी मदद से लोगों में अवेयरनेस बढ़ाई जा सके. मौजूदा वक्त में कंपनी का टर्नओवर करीब सवा दो करोड़ रुपये का है.
कहां से आया स्मार्ट चाबी बनाने का आइडिया?
करीब 5 साल तक स्पाइसजेट और उसके बाद लगभग 8 साल से इंडिगो में पायलट रजत जयसवाल गाड़ियों से काफी जुड़े हुए हैं. उन्हें इंपोर्टेड गाड़ियों, खासकर जर्मन गाड़ियों का बहुत एक्सपीरियंस है. ऐसी गाड़ियों में आने वाली तमाम दिक्कतों को वह आसानी से सही कर देते हैं. रजत बताते हैं कि आज भी जब उनके दोस्तों-रिश्तेदारों की किसी लग्जरी इंपोर्टेड गाड़ी में कोई दिक्कत आती है तो वह रजत से ही उसका सॉल्यूशन पूछते हैं. रजत ने तो अपनी गाड़ियों को अपने हिसाब से कस्टमाइज भी किया हुआ है. इसी बीच उन्होंने देखा कि लोग अपनी गाड़ी में सब कुछ कस्टमाइज कर सकते हैं, लेकिन गाड़ी की चाबी कस्टमाइज नहीं होती है. इसी गैप से निपटने के लिए रजत ने Keydroid की शुरुआत की. रजत बताते हैं कि इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा था, जबकि बहुत सारे लोगों को इसकी जरूरत थी. अब लोग Keydroid की मदद से अपनी चाबी को भी कस्टमाइज कर सकते हैं.
रजत कहते हैं कि आज के वक्त में बहुत सारे लोग पुरानी लग्जरी गाड़ियां भी खरीदते हैं और उसे अपने हिसाब से कस्टमाइज करते हैं. इन दिनों पुरानी गाड़ियों को भी शोरूम से डिलीवर किया जाने लगा है, जिससे एक्सपीरियंस भी बेहतर हुआ है. 15-20 लाख में सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने वाला शख्स अपने पास डेढ़-दो लाख रुपये का बजट तो रखता ही है, जिससे वह अपनी गाड़ी को कस्टमाइज कर सके. ऐसे में अगर उसे गाड़ी की चाबी भी कस्टमाइज करने का ऑप्शन मिले, तो कोई भी उस पर पैसे खर्च करेगा. बता दें कि Keydroid पर इन स्मार्ट चाबियों की शुरुआत सिर्फ 15 हजार रुपये से होती है.
फीचर्स की भरमार है इस चाबी में
Keydroid सिर्फ देखने में बहुत सुंदर नहीं है, बल्कि इसमें बहुत सारे फीचर्स भी हैं. हालांकि, इनमें से कई फीचर तभी काम करेंगे, जब आपकी गाड़ी उन्हें सपोर्ट करती हो. वहीं हाथ में स्मार्ट की होने पर लोगों पर आपका इंप्रेशन भी शानदार पड़ेगा. आइए जान लेते हैं इसके फीचर्स के बारे में.
1- इस स्मार्ट चाबी की मदद से आपको गाड़ी में कीलेस एंट्री मिल जाएगी. यानी जैसे ही आप गाड़ी के पास जाएंगी, गाड़ी अनलॉक हो जाएगी और दूर जाते ही गाड़ी खुद ही लॉक हो जाएगी.
2- कीलेस एंट्री के अलावा इसमें ट्रैकिंग का फीचर भी जोड़ा गया है. आईफोन इस्तेमाल करने वाले लोग कंपनी के आईटैक ट्रैकर की मदद से ट्रैकिंग की सुविधा भी ले सकते हैं, जो एप्पल की तरफ से मुफ्त है. अभी ये सुविधा एंड्रॉयड के लिए नहीं है.
3- इसमें स्मार्ट विंडो का भी फीचर है. इसके तहत अगर गाड़ी का शीशा खुला छूट गया तो गाड़ी से दूर जाते ही आपकी गाड़ी के शीशे बंद हो जाएंगे. हालांकि, अगर आपकी गाड़ी इसे सपोर्ट करेगी, तभी ये सुविधा आपको मिलेगी.
4- स्मार्ट ट्रंक का फीचर भी इस गाड़ी में मिलता है. इसे अगर आप एक्टिवेट कर देते हैं तो गाड़ी के पास जाते ही एक बार आपकी गाड़ी की डिग्गी अपने आप खुल जाएगी. तो अगर आप मॉल से बहुत सारा सामान लेकर गाड़ी के पास पहुंचते हैं तो आपको डिग्गी खोलने के लिए चाबी लगाने की जरूरत नहीं होगी. यह सिर्फ एक बार इस्तेमाल होने वाला फीचर है, तो अगर आप दोबारा डिग्गी खोलना चाहते हैं तो इसे दोबारा एक्टिवेट करना होगा.
5- तमाम चाबियों में एक बैटरी लगती है. इसे बदलना है तो बहुत आसान, लेकिन लग्जरी गाड़ियों के शोरूम में इसके लिए भी 4-5 हजार रुपये चार्ज किए जाते हैं. इस चाबी में यूएसबी चार्जिंग है तो आप उसे खुद ही चार्ज कर सकते हैं. स्टार्टअप का दावा है कि यह 2-3 घंटे में फुल चार्ज होने के बाद 12-15 दिन तक इस चाबी की स्मार्ट स्क्रीन ऑन रह सकती है. वहीं स्क्रीन बंद हो जाने के बाद भी फिजिकल बटन 1 साल तक काम करते रहेंगे.
6- चाबी की स्क्रीन पर आप अपना फोन नंबर डाल सकते हैं और अपनी खुद की कंपनी का लोगो भी लगा सकते हैं. ऐसे में अगर आपकी चाबी कहीं गिर जाएगी तो आपके नंबर पर फोन कर के कोई भी आपको चाबी खोने पर वापस लौटा सकता है.
कैसी होती है यूजर जर्नी?
इस स्टार्टअप ने यूजर जर्नी को भी बेहद आसान बनाया हुआ है. आपको सिर्फ इसकी वेबसाइट पर जाना है और वहां पर जो भी प्रोडक्ट चाहिए उसे चुनकर पेमेंट कर देनी है. अगर आप समझ नहीं पा रहे कि कौन सी चाबी बेस्ट रहेगी, तो आप वेबसाइट पर चैट सेक्शन में जाकर अपने सवालों के जवाब भी ले सकते हैं और ऑर्डर दे सकते हैं. ऑर्डर मिलते ही कंपनी की तरफ से एक पिकअप शेड्यूल किया जाएगा. आपके पास एक कुरियर पार्टनर आएगा, जिसे आपको अपनी गाड़ी की एक चाबी देनी होगी. वह आपकी चाबी को ले जाकर कंपनी में देगा, जहां आपकी चाबी को स्मार्ट बनाकर उसे आपके पास डिलीवर करा दिया जाएगा. आप चाबी का ऑर्डर भुगतान कर के भी दे सकते हैं और कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प भी चुन सकते हैं.
अगर आपकी गाड़ी स्मार्ट नहीं है तो क्या?
मान लीजिए कि आपकी गाड़ी पुश स्टार्टअप नहीं है, तो भी आप अपनी गाड़ी को Keydroid की मदद से स्मार्ट बना सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपकी गाड़ी में एक पुश स्टार्ट किट लगेगी, जिसके लिए आपको गाड़ी को कंपनी भेजना होगा. यानी इस स्थिति में कुछ वक्त तक अपनी गाड़ी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, क्योंकि आपकी गाड़ी को ही कंपनी भेजना होगा. पुश स्टार्ट किट लगते ही आपकी गाड़ी में भी कीलेस एंट्री होने लगेगी. यानी गाड़ी के पास जाते ही वह अनलॉक हो जाएगी और दूर जाते ही लॉक हो जाएगी.
क्या है बिजनेस मॉडल?
कंपनी का बिजनेस मॉडल आसान सा है. अभी ये स्टार्टअप सिर्फ अपने प्रोडक्ट्स की सेल से ही पैसे कमा रहा है. स्मार्ट चाबी के अलावा यह स्टार्टअप स्मार्ट इलेक्ट्रिकल डिफ्यूजर भी बेचता है. इस डिफ्यूजर की रिफिल सिर्फ इसी के पास मिलती है तो उससे भी यह स्टार्टअप पैसे कमाता है. कुछ लोग चाबियों के कवर भी खरीदते हैं. कई लोग चाबी का रंग बदलवाते हैं या दूसरे स्टाइल की चाबी लेते हैं. कुछ लोगों की चाबी के साथ कोई टूट-फूट हो जाती है तो उसकी रिपेयर से भी स्टार्टअप की थोड़ी कमाई होती है. हालांकि, भविष्य में कंपनी एक ऐप भी लाने की सोच रही है, जिसके जरिए सब्सक्रिप्शन मॉडल से भी कंपनी कमाई करेगी और ग्राहकों से सालाना एक छोटा सा अमाउंट चुकाना होगा.
चुनौतियां भी कम नहीं
रजत बताते हैं कि इस बिजनेस में सबसे बड़ी चुनौती है भरोसा जीतना. कोई भी अपनी गाड़ी की चाबी यूं ही किसी को नहीं दे देता है. अगर चाबी खो गई तो क्या होगा? कहीं डैमेज ना हो जाए. वहीं कुछ लोगों को तो ये भी डर रहता है कि आपकी चाबी से कोई डुप्लिकेट चाबी ना बनवा लें. यहां आपको बता दें कि गाड़ी की डुप्लिकेट चाबी बनाना आसान नहीं. उसके लिए आपकी चाबी के साथ-साथ आपकी गाड़ी की भी जरूरत होती है, तभी फ्रीक्वेंसी मैच होगी और चाबी बन सकेगी, वरना आपकी चाबी जैसी चाबी कोई बना भी ले तो भी वह उससे आपकी गाड़ी स्टार्ट नहीं कर सकता. वहीं रजत को कुछ ऐसी भी चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं, जिसमें लोग अपनी पुरानी कोई खराब चाबी दे देते हैं और फिर शिकायत करते हैं कि आपने खराब की है तो बनवाकर दीजिए. हालांकि, अब उन्होंने खराब चाबी पहचानने का सिस्टम बना लिया है, जो शुरू में ही बता देता है कि चाबी वर्किंग है या नहीं.
कितनी फंडिंग ली है स्टार्टअप ने?
अगर बात करें फंडिंग की तो करीब 13 सालों से पायलट की जॉब कर रहे रजत ने आज तक अपने स्टार्टअप के लिए कोई फंडिंग नहीं उठाई है. इतना ही नहीं, उनका एक और बिजनेस है, जो रेस्टोरेंट चेन है. यह बिजनेस 'वाट-ए-बर्गर' नाम से है, जिसके देशभर में करीब 70-80 स्टोर हैं. ऐसे में उनके पास अभी पैसों की ऐसी कोई दिक्कत नहीं है. बता दें कि रजत के इस स्टार्टअप Keydroid ने अब तक कोई बैंक लोन भी नहीं लिया है. यानी उनका स्टार्टअप बूटस्ट्रैप्ड तो है ही, डेट फ्री भी है.
फ्यूचर की क्या है प्लानिंग?
सबसे पहले तो कंपनी एक ऐप लाने वाली है, जिसके जरिए चाबी की ट्रैकिंग आसान हो जाएगी. इस ऐप से चाबी से जुड़े तमाम बदलाव आसानी से हो सकेंगे, जैसे लोगो बदलना, मोबाइल नंबर बदलना. इतना ही नहीं, कंपनी का प्लान एक मोबाइल जितनी बड़ी चाबी लाने का है, जो आपके फोन से कनेक्ट हो जाएगी. उस चाबी से आप कॉलिंग भी कर सकेंगे. वहीं आप अपने मोबाइल से भी गाड़ी को ऑपरेट कर सकेंगे यानी बिना चाबी के ही गाड़ी चला सकेंगे. आने वाले वक्त में रिमोट कंट्रोल की सुविधा भी मिलेगी. ऐसे में आप चाहे तो दिल्ली में रहते हुए मुंबई में अपने घर के बाहर खड़ी गाड़ी को लॉक-अनलॉक कर सकेंगे. वहीं ये स्टार्टअप अपनी चाबी के तमाम फीचर्स को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है, जिसे भविष्य में और शानदार बनाया जाएगा.