यह सच है कि बहुत सारे बिजनेस आइडिया इसलिए हकीकत की दुनिया नहीं देख पाते हैं क्योंकि उन्हें सही वक्त पर फंडिंग नहीं मिल पाती, निवेश नहीं हो पाता और वो भी बस आइडिया ही बनकर रह जाते हैं. अगर आपके पास भी कोई ऐसा आइडिया है, जिसे लेकर आपको लगता है कि ये आपको बहुत आगे लेकर जाएगा, लेकिन आपके पास फंडिंग नहीं है, आइडिया में कोई पैसा लगाने वाला नहीं है, तो हम आज आपको बता रहे हैं एक सरकारी स्कीम के बारे में जो स्टार्टअप (Government Funding for Startups) शुरू करने वालों को सीड फंडिंग (Seed Funding) देती है. Startup India Seed Fund Scheme (SISFS) एक ऐसी स्कीम है जो स्टार्टअप्स को बाजार में एंट्री, प्रॉडक्ट ट्रायल, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, कॉमर्शियलाइजेशन वगैरह के लिए पूंजी देती है.

Seed Funding क्या होती है?

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सीड फंडिंग किसी भी स्टार्टअप के बिल्कुल शुरुआती दौर में लगाई जाने वाली पूंजी को कहते हैं. इसे Seed Money भी कहते हैं. आमतौर पर निवेशक जो पूंजी लगाते हैं उसके बदले में उन्हें कंपनी में इक्विटी स्टेक मिलता है. 

स्टार्टअप खड़ा करने में कैसे मिलेगी मदद? कितनी मिलेगी फंडिंग?

- इस स्कीम का लक्ष्य स्टार्टअप के शुरुआती प्रोजेक्ट में पूंजी की मदद पहुंचाना है. इसे अप्रैल, 2021 में मंजूरी दी गई थी और यह अगले चार सालों के लिए लागू है.

- इसके तहत 945 करोड़ का कॉर्पस रखा गया है, जिसके तहत उम्मीद है कि देश में 3,600 करोड़ स्टार्टअप्स को मदद मिलेगी.

- योजना के तहत रखी गई शर्तों को पूरा करने वाले स्टार्टअप्स को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट, या प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, या प्रॉडक्ट ट्रायल के वैलिडेशन के लिए 20 लाख तक का ग्रांट दिया जाएगा.

- मार्केट एंट्री, कॉमर्शियलाइजेशन, और कन्वर्टिबल डिबेंचर्स या डेट या डेट से जुड़े इन्स्ट्रूमेंट के लिए 50 लाख रुपये का निवेश मिलेगा.

कौन कर सकता है अप्लाई? क्या हैं शर्तें?

SISFS के मुताबिक, किन स्टार्टअप को सरकार वरीयता देगी, या कौन से स्टार्टअप इसके पात्र बनेंगे, इसे लेकर भी कुछ अहम बातें जान लेते हैं

- फंडिंग के लिए मंजूरी मिले इसके लिए जरूरी है कि स्टार्टअप को डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) से मान्यता प्राप्त हो.

- एप्लीकेशन डालते वक्त स्टार्टअप को शुरू हुए दो सालों से ज्यादा का वक्त नहीं हुआ होना चाहिए. यानी कि स्टार्टअप शुरू करने के दो सालों के भीतर आप इस स्कीम के तहत अप्लाई कर सकते हैं.

- एक और बड़ी शर्त ये है कि उस स्टार्टअप के पास  केंद्र या राज्य सरकार की किसी और योजना से 10 लाख से ज्यादा का मॉनेटरी सपोर्ट मिला हुआ नहीं होना चाहिए.

- इसके अलावा, इस स्कीम के लिए अप्लाई करते वक्त स्टार्टअप में इंडियन प्रमोटर्स के पास शेयरहोल्डिंग 51 पर्सेंट से कम नहीं होनी चाहिए.

- कुछ ऐसे सेक्टर्स भी हैं, जिनमें कुछ इनोवेटिव करने की चाह रखने वाले स्टार्टअप्स को सरकार वरीयता देती है. ये हैं- वेस्ट मैनेजमेंट, वाटर मैनेजमेंट, फाइनेंशियल इंक्लूजन, एजुकेशन, सोशल इंपैक्ट, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, बायोटेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, एनर्जी, मोबिलिटी, डिफेंस, स्पेस, रेलवे, ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल और अन्य.