हेल्थकेयर पेमेंट्स स्टार्टअप Qube Health ने प्री-सीरीज-ए राउंड में 25 करोड़ रुपये की फंडिंग (Startup Funding) हासिल की है. इस स्टार्टअप ने यह फंडिंग अपने मौजूदा निवेशकों Inflection Point Ventures और Green Ivy Ventures से 200 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर निवेश हासिल किया है. साथ ही कंपनी ने कुछ फैमिली ऑफिस निवेशकों से भी निवेश जुटाया है.

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एआई से चलने वाले इस हेल्थटेक प्लेटफॉर्म ने पहले ही 11 हजार से भी अधिक अस्पताल और क्लीनिक के साथ टाईअप किया हुआ है. साथ ही कई इंश्योरेंस कंपनियों, इंश्योरेंस ब्रोकर्स और ई-फार्मेसी के साथ भी पार्टनरशिप कर ली है. Qube Health स्टार्टअप की तरफ से कॉरपोरेट क्लाइंट्स के उन कर्मचारियों को पेमेंट सिस्टम और हेल्थकेयर क्रेडिट लाइन की सुविधा दी जाती है, जो इस पर साइनअप करते हैं. 

इसके ग्राहक एक साल के अंदर पहले से तय क्रेडिट लिमिट तक की रकम लोन की तरह ले सकते हैं या उसके जरिए कहीं भुगतान कर सकते हैं, वो भी बिना कोई ब्याज चुकाए. कर्मचारियों के लिए क्रेडिट लाइन मुफ्त है, लेकिन स्टार्टअप कंपनी से इस सेवा के लिए एक सब्सक्रिप्शन फीस लेता है.

इस स्टार्टअप की शुरुआत क्रिस जॉर्ज और गगन कपूर ने साल 2019 में किया था. स्टार्टअप ने अभी ये नहीं बताया है कि इस 25 करोड़ की फंडिंग के लिए उसने कितनी इक्विटी दी है. पीटीआई को उसके सूत्रों से यह पता चला है कि कुल फंडिंग 25 करोड़ रुपये है और मुमकिन है कि इसके लिए कंपनी ने करीब 10 फीसदी इक्विटी डायल्यूट की है. बताया जा रहा है कि अभी भी प्रमोटर्स के पास करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी है. यानी कंपनी का वैल्युएशन करीब 200 करोड़ रुपये है.

कहां होगा फंडिंग के पैसों का इस्तेमाल?

कंपनी के सीईओ क्रिस जॉर्ज ने कहा कि इस राउंड से मिली फंडिंग प्री-सीरीज-ए राउंड के कॉर्पस में जाएगी, जिससे इस स्टार्टअप को करीब 2 साल तक का रनवे मिलेगा. वहीं कंपनी ने यह भी कहा है कि इस बीच वह आने वाली सीरीज-ए के लिए तैयारी करेंगे. 

पिछले करीब 5 सालों में मेडिकल इनफ्लेशन लगभग दोगुना हो चुका है. ऐसे में इंश्योरेंस से मिलने वाली रकम पर्याप्त नहीं रह रही. कुछ रिपोर्ट से पता चला है कि हेल्थकेयर के खर्चों को पूरा करने के लिए हर साल भारतीय 55 अरब डॉलर से भी अधिक का खर्चा अपनी जेब से कर रहे हैं. जॉर्ज ने कहा कि जब से यह स्टार्टअप बना है, तब से लेकर अब तक कंपनी ने करीब 1000 करोड़ रुपये के मेडिकल क्रेडिट को 270 से भी अधिक कंपनियों के 2 लाख से भी अधिक कर्मचारियों के लिए खोल दिया है. अगले 3 सालों में इस क्रेडिट लाइन को 3000 करोड़ रुपये करने का प्लान है.