Bengaluru में सरकार के एक फैसले से कई Startup खतरे में, यहां जानिए आखिर क्या है पूरा मामला
कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है और बेंगलुरु में कारपूलिंग ऐप्स पर बैन (Karnataka Government banned carpooling) लगा दिया है, जिससे कई स्टार्टअप के ये ऐप्स ठप पड़ गए हैं. ऐसे में उन स्टार्टअप्स का बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो कारपूलिंग सर्विस पर बहुत ज्यादा निर्भर थे.
बेंगलुरु (Bengaluru) को भारत में स्टार्टअप (Startup) का हब कहा जाता है. यहां हर छोटी-बड़ी प्रॉब्लम के लिए कोई ना कोई स्टार्टअप एक सॉल्यूशन लाने की कोशिश करता ही है. बेंगलुरु में सबसे बड़ी समस्या है ट्रैफिक की, जिसके चलते वहां कई ऐसे स्टार्टअप हैं जो ट्रैफिक की इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए बहुत से स्टार्टअप्स ने कार पूलिंग (Carpooling) ऐप्स लॉन्च किए हैं, जिनका इस्तेमाल कर के लोग एक दूसरे की कार में बहुत ही कम पैसे चुकाकर राइड शेयर कर सकते हैं. इसी बीच कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है और इन कारपूलिंग ऐप्स पर बैन (Karnataka Government banned carpooling) लगा दिया है, जिससे तमाम स्टार्टअप के ये ऐप्स ठप पड़ गए हैं.
कारपूलिंग ऐप्स पर बैन लगाए जाने से ऐसे तमाम स्टार्टअप का बिजनेस खतरे में पड़ गया है जो काम ही कारपूलिंग की दिशा में कर रहे थे. वह बेंगलुरु की ट्रैफिक की समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे थे. BlaBla Car, Quickride, Rideshare, Commute Easy और Carpool Adda जैसे कारपूलिंग ऐप के जरिए 2-4 लोग अपनी-अपनी कार लेकर सड़कों पर नहीं निकलते थे, बल्कि एक ही कार में सारे लोग राइड शेयर कर के ऑफिस चले जाते थे. इससे सड़क पर कम गाड़ियां होती थीं, जिसके काफी हद तक ट्रैफिक जाम से निजात मिलती थी. अब सवाल ये है कि अगर ये कारपूलिंग ऐप इतने ही अच्छे थे तो सरकार ने इन्हें बैन क्यों कर दिया? इनसे तो ट्रैफिक की समस्या से छुटकारा मिल रहा था.
क्यों बैन लगाया कारपूलिंग ऐप्स पर?
कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु शहर में कारपूलिंग ऐप्स को अवैध करार दिया है. सरकार का यह फैसला टैक्सी डाइवरों के एसोसिएशन की तरफ से की गई शिकायत के बाद लिया गया है. पहले तो कारपूलिंग ऐप्स को ट्रैफिक के समाधान की तरह देखा जा रहा था, लेकिन बदा में टैक्सी एसोसिएशन ने शिकायत की कि इसकी वजह से उनकी कमाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा. इसके चलते टैक्सी एसोसिएशन की तरफ से पूरे शहर में 'बंद' का भी आयोजन किया गया. इसमें ऑटोरिक्शा ड्राइवर यूनियन ने भी हिस्सा लिया और अपनी मांगों की एक लिस्ट कर्नाटक के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रामलिंगा रेड्डी को सौंप दी. उनकी मांगों में से एक यह भी था कि बाइक टैक्सी पर रोक लगाई जाए. इस पर अभी लीगल रिव्यू पेंडिंग है, ऐसे में मंत्री ने उसे ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है.
ट्रांसपोर्ट विभाग ने कहा है कि सफेद नंबर प्लेट वाली प्राइवेट गाड़ियों को कमर्शियल व्हीकल की तरह इस्तेमाल करना अवैध है. इस रेगुलेशन का उल्लंघन करने वालों पर पेनाल्टी लगेगी और साथ ही 6 महीनों तक के लिए गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द किया जा सकता है. इसके तहत 5000 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. आधिकारिक बयान के मुताबिक कारपूलिंग ऐप कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, क्योंकि इसका इस्तेमाल करते हुए उन कारों को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें कमर्शियल तरीके से इस्तेमाल करने का लाइसेंस नहीं दिया गया है.
कारपूलिंग ऐप्स पर बैन का बेंगलुरु पर क्या होगा असर?
कारपूलिंग ऐप्स पर बैन लगने से बेंगलुरु शहर पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है. देश में बेंगलुरु का ट्रैफिक सबसे बुरा कहा जाता है. यहां की आबादी करीब 11 मिलियन लोगों की है, जबकि यहां 12.5 मिलियन व्हीकल हैं. यानी देखा जाए तो हर एक आदमी के पास एक से अधिक व्हीकल हैं. यही वजह है कि सरकार के इस फैसले से सोशल मीडिया पर लोग नाराज दिख रहे हैं.