गुजरात की धर्मिष्ठा ने कर्ज लेकर शुरू किया पशुपालन, बनी सफल महिला उद्यमी
धर्मिष्ठा अपनी इस डेरी के कारण पूरे इलाके में चर्चा में आने लगी. आज वह मशीन से गायों का दूध निकालती है और दूध के खरीदार उसके घर से ही दूध ले जाते हैं.
(वडोदरा/चिराग जोशी)
वडोदरा जिले के वाघोड़िया तालुका के वलवा गांव की रहने वाली धर्मिष्ठा बेन परमार ने अपने पैरों पर खड़ा होकर महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा उदाहरण समाज के सामने रखा है. महज चौथी कक्षा तक पढ़ी-लिखी धर्मिष्ठा परमार की कुछ समय पहले आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय थी कि दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो पाती थी.
लेकिन कड़ी मेहनत और आगे बढ़ने की चाह ने आज धर्मिष्ठा की दुनिया ही बदल कर रख दी है. इस महिला ने शून्य से सर्जन कर पूरे जिले में अपना नाम रोशन किया है और अपनी ही तरह अन्य महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है.
धर्मिष्ठा आज गायों की डेरी चलाती है और इस डेरी से होने वाली आमदनी से न केवल पूरे घर का लालन-पोषण अच्छे तरीके से हो रहा है, बल्कि इससे उन्हें हर महीने अच्छी बचत भी हो रही है.
आज चारों तरफ फाइनेंस कंपनियों की भरमार है. हर चीज फाइनेंस पर मुहैया है. आसान किस्तों पर घर से लेकर कारोबार तक की हर चीज खरीदी जा सकती है. धर्मिष्ठा ने भी फाइनेंस की इस सुविधा का फायदा उठाया और एक निजी फाइनेंस कंपनी से कुछ रुपये उधार लेकर एक गाय खरीदी. गाय का अच्छी तरीके से लालन-पालन किया और उसका दूध बेचना शुरू किया. दूध से होने वाली आमदनी से उसने कर्ज की किस्त समय पर चुकाईं.
धर्मिष्ठा बेन की लगन को देखकर फाइनेंस कंपनी ने उसे और ज्यादा पैसा देने का फैसला किया. फाइनेंस कंपनी से मिले पैसे से धर्मिष्ठा ने और गाय खरीदीं. इस तरह देखते ही देखते उसके पास 8 गाय हो गईं. पशुपालन के लिए उसने पशु चिकित्सकों और कृषि वैज्ञानिकों से भी तकनीकी जानकारी हासिल की.
कुछ समय बाद ही धर्मिष्ठा अपनी इस डेरी के कारण पूरे इलाके में चर्चा में आने लगी. आज वह मशीन से गायों का दूध निकालती है और दूध के खरीदार उसके घर से ही दूध ले जाते हैं.
धर्मिष्ठा की इस मेहनत को लेकर गुजरात सरकार ने उन्हें आत्मा प्रोजेक्ट (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) के तहत एक अच्छे पशुपालक के रूप में 10,000 रुपये का नकद इनाम भी दिया गया है.