सरकारी टीचर की नौकरी छोड़ बना किसान, अब ₹5.50 लाख कमा रहा मुनाफा
Fish Farming: बिहार के राजेश पासवान सरकारी टीचर से एक फिश फार्मर बन गए हैं. फिशिंग सेक्टर में अपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने मछली पालन (Fish Farming) शुरू करने की ठानी. अब इससे अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं.
Fish Farming: केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY) के तहत देश में मछली पालन को बढ़ावा दे रही है. मछली पालन में अब पढ़े-लिखे युवा और नौकरीपेशा हाथ आजमा रहे हैं. बिहार के राजेश पासवान सरकारी टीचर से एक फिश फार्मर बन गए हैं. पटना जिले के फतेह गांव के रहने वाले राजेश एक सरकारी टीचर थे. वह अपने पेशे से बहुत कम कमा रहा था जिससे उन्हें आय के वैकल्पिक सोर्स की तलाश थी. फिशिंग सेक्टर में अपार संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने मछली पालन (Fish Farming) शुरू करने की ठानी. अब वे इससे अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं.
PMSSY योजना का उद्देश्य
PMSSY योजना का उद्देश्य मछली उत्पादन, उत्पादकता, मत्स्य इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए मछुआरों, मछली किसानों, मछली श्रमिकों, मछली विक्रेताओं, उद्यमियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना और मछुआरों की आय में बढ़ोतरी करना है.
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ट्रेनिंग से मिली मदद
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन मैनेजमेंट के मुताबिक, राजेश ने लगभग एक एकड़ के एक छोटे से तालाब में कार्प मोनोकल्चर (carp monoculture) की शुरुआत की. लेकिन उन्हें पारिवारिक जरूरतें पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं मिल रहे थे. उन्होंने मत्स्य पालन में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में ग्रामश्री किसान (Gramshree Kisan) में एक विज्ञापन देखा. मछली पालन के बारे में विस्तार से जानने की उत्सुकता थी. इसलिए, उन्होंने उनसे संपर्क किया और ग्रामश्री द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में से एक में भाग लिया. वहां, उसने मत्स्य विशेषज्ञ से मछली के विकास और स्टॉक डेनसिटी को बनाए रखने और कुल उत्पादन को बढ़ाने के बारे में जानकारी प्राप्त की.
5.30 लाख से शुरू किया मछली पालन का काम
राजेश 5.30 लाख रुपये की कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट के साथ अब 2.5 टन की उत्पादन क्षमता के साथ 1.9 एकड़ के अपने खेत पर तालाबों की 2 यूनिट में इंडियन मेजर कार्प्स (IMC) और Bighead carp की पॉलीकल्चर कर रहे हैं. ग्रामश्री से मिली ट्रेनिंग को अपनाकर उन्होंने मत्स्य मृत्यु दर को कम किया. वह संक्रमित मछली पर फिश सैनिटाइजर का इस्तेमाल करता है, जो 2-3 दिनों के भीतर मछली को कीटाणुरहित कर देता है. वह मछली को फार्म-निर्मित फीड के हैंगिंग बैग का उपयोग करके खिलाते है, जो फीड की बर्बादी को कम करता है और अमोनिया के गठन को कम करने से रोकता है. इससे उनके कुल मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और ₹1.50 लाख का मुनाफा मिला.
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राजेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और वह परिवार की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं. उन्होंने 3 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए. उन्होंने 91.40 सेंट जमीन पर एक और तालाब बनाने की योजना बनाई है और गरीब लोगों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने का इरादा रखते हैं. वो सालाना 3.20 टन मछली का उप्तादन करते हैं और उनका सालाना टर्नओवर 5.50 लाख रुपये है.
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