खुशखबरी! बेरोजगारों के लिए आने वाली हैं 5 करोड़ नौकरियां, केंद्र सरकार ने बनाया प्लान
Jobs in MSME: गडकरी ने कहा इनोवेशन और आंत्रप्रिन्योरशिप के लिए मदद के दायरे को विस्तृत बनाया जाना चाहिए, ताकि नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिल सकें.
Jobs in MSME: देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने और रोजगार को मजबूत बनाने के लिए सरकार कदम उठा रही है. इस बीच बेरोजगारों के किए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने खुशखबरी दी है. केंद्र सरकार ने इसके लिए प्लान तैयार कर लिया है. गडकरी का कहना है कि सरकार का अगले पांच साल में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME Sector) क्षेत्र में 5 करोड़ अतिरिक्त रोजगार देने का लक्ष्य रखा है.
MSME, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में MSME के योगदान को लगभग 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी और निर्यात में 49 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी तक लाना है. अभी MSME क्षेत्र करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है.
गडकरी ने कहा इनोवेशन और आंत्रप्रिन्योरशिप के लिए मदद के दायरे को विस्तृत बनाया जाना चाहिए, ताकि नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिल सकें. MSME मंत्रालय के मुताबिक, इनोवेशन में जोखिम लेने और नए सॉल्यूशंस खोजने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जो लोग चूक कर रहे हैं, उनका बचाव करने की जरूरत है.
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गडकरी ने बुधवार को एक वर्चुल मीटिंग को संबोधित करते हुए नीति आयोग की पहल आत्मनिर्भर भारत 'अराइज अटल न्यू इंडिया चैलेंज' की सराहना की. उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में हो रही समस्याओं के समाधान खोजने और मूल्य संवर्धन सुनिश्चित करने के लिए नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की भी अपील की. उन्होंने सरप्लस चावल का उदाहरण दिया और कहा कि इसका इस्तेमाल इथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकता है. इससे भंडारण की समस्या कम होगी और इसके साथ ही हरित ईंधन के मामले में देश को जीवाश्म ईंधनों का विकल्प मिलेगा.
विज्ञान को तलाशने होंगे समाधान
नितिन गडकरी ने कहा, MSME देश के विकास के इंजन हैं और उनसे बहुत उम्मीदें हैं. मुझे यकीन है कि यह पहल इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नवाचारों को पहचानने और बढ़ावा देने में मदद करेगी. प्रधानमंत्री मोदी के वैज्ञानिक अनुसंधान पर केंद्रित दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, विज्ञान को सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में मदद करनी चाहिए और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रयोगशालाओं से जमीन तक ले जाया जाना चाहिए.