ISRO से भी आगे निकला ये Space Startup! अब अमेरिका-यूरोप से जापान तक के 13 ग्राहकों से चल रही बात
हाल ही में अग्निकुल कॉसमोस (AgniKul Cosmos) की तरफ से Agnibaan SOrTeD का सफल परीक्षण किया गया. लॉन्चिंग की सफलता के बाद अब यह स्पेसटेक स्टार्टअप 13 ग्राहकों से एडवांस बातचीत के दौर में है.
हाल ही में अग्निकुल कॉसमोस (AgniKul Cosmos) की तरफ से Agnibaan SOrTeD का सफल परीक्षण किया गया. लॉन्चिंग की सफलता के बाद अब स्टार्टअप के को-फाउंडर और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा है कि यह स्पेसटेक स्टार्टअप 13 ग्राहकों से एडवांस बातचीत के दौर में है. यह ग्राहक यूरोप, जापान और अमेरिका से हैं. बता दें जिस तरह के रॉकेट की लॉन्चिंग अग्निकुल ने की है, वैसा अभी तक इसरो भी नहीं कर सका है.
रविचंद्रन की तरफ से न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में यह कहा गया. रविचंद्रन ने कहा हम कोशिश कर रहे हैं कि ग्राहकों से चल रही बातचीत में कुछ ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हों, जो हमारी अगली फ्लाइट लॉन्च होने तक कुछ बिजनेस भी दे सके.
बेहद सस्ते में तैयार हुआ है ये रॉकेट
Agnibaan SOrTeD की लॉन्चिंग में होने वाले खर्च की बात करते हुए श्रीनाथ रविचंद्रन ने एएनआई को बताया कि इस रॉकेट को डेवलप करने में करीब 1000 डॉलर का खर्च आता है. वह बोले कि हमें इसे बनाने में करीब एक दहाई (1/10) लागत ही आई है. उन्होंने बताया कि रिसर्च और डेवलपमेंट की मदद से उनका स्टार्टअप इस लागत को कम करने में सफल हुआ है. उन्होंने जिस टेक्नोलॉजी से रॉकेट डेवलप किया है, वह बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव है.
हाल ही में लॉन्च किया था ये खास रॉकेट
TRENDING NOW
इस कंपनी में 100-200 नहीं पूरे 13 हजार कर्मचारियों की हुई 'घर वापसी', CEO बोले- 'जादू वापस आ गया है'
6 शेयर तुरंत खरीद लें और इस शेयर को बेच दें; एक्सपर्ट ने निवेशकों को दी कमाई की स्ट्रैटेजी, नोट कर लें टारगेट और SL
कुछ दिन पहले पिछले ही महीने 30 मई को इस स्टार्टअप ने अपनी पहली फ्लाइट की सफल लॉन्चिंग की. उन्होंने यह लॉन्चिंग अपने खुद के और भारत के पहले और इकलौते प्राइवेट लॉन्चपैंड से किया था, जो श्रीहरिकोटा में है. इस व्हीकल को पूरी तरह से इन-हाउस डिजाइन किया गया है. यह दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी इजंन वाला व्हीकल है. साथ ही भारत में पहली बार सेमी क्रायो इंजन के साथ यह लॉन्चिंग की गई है. इस मिशन में मदद के लिए अग्निकुल ने INSPACe, इसरो और आईआईटी मद्रास को भी धन्यवाद कहा.
Humbled to announce the successful completion of our first flight - Mission 01 of Agnibaan SOrTeD - from our own and India’s first & only private Launchpad within SDSC-SHAR at Sriharikota. All the mission objectives of this controlled vertical ascent flight were met and… pic.twitter.com/9icDOWjdVC
— AgniKul Cosmos (@AgnikulCosmos) May 30, 2024
पीएम मोदी ने भी की तारीफ
पीएम मोदी ने भी इस स्टार्टअप की तारीफ करते हुए एक पोस्ट शेयर की थी. उन्होंने कहा था कि इस पर पूरे देश को गर्व है. उन्होंने कहा था कि यह सब युवा शक्ति की वजह से मुमकिन हुआ. साथ ही पीएम मोदी ने कंपनी की पूरी टीम को भविष्य के लिए बधाई दी.
A remarkable feat which will make the entire nation proud!
— Narendra Modi (@narendramodi) May 30, 2024
The successful launch of Agnibaan rocket powered by world’s first single-piece 3D printed semi-cryogenic engine is a momentous occasion for India’s space sector and a testament to the remarkable ingenuity of our Yuva… https://t.co/iJFyy0dRqq pic.twitter.com/LlUAErHkO9
चार बार टाली थी लॉन्चिंग
ऐसा नहीं है कि अग्निकुल कॉसमोस ने पहली ही कोशिश में ये मुकाम हासिल कर लिया. इससे पहले कंपनी ने अपने इस खास रॉकेट की लॉन्चिंग को 4 चार टाला. कंपनी 22 मार्च से ही लॉन्चिंग की कोशिश कर रही थी, लेकिन हर बार किसी ना किसी दिक्कत की वजह से लॉन्चिंग टल जा रही है. आखिरी बार 28 मई को लॉन्चिंग टाली गई थी. गैस और लिक्विड फ्यूल के कॉम्बिनेशन से बनाया गया यह भारत का पहला रॉकेट है.
रायटर्स की खबर के अनुसार आखिरी बार लॉन्च मंगलवार, 28 मई को टाला गया था. उस दिन लॉन्च सुबह 5.45 बजे होना था. पहले इसकी लॉन्चिंग को करीब 6 मिनट के लिए टाला गया, क्योंकि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम आ गई थी. इसके बाद अधिकारियों ने इसकी लॉन्चिंग का नया वक्त सुबह 9.25 बजे तय किया. हालांकि, लॉन्चिंग से करीब 5 सेकेंड पहले ही लॉन्चिंग को फिर से रोक दिया गया. इसके बाद इग्नाइटर की परफॉर्मेंस को चेक करने के लिए लॉन्चिंग को अस्थाई रूप से होल्ड पर डाला गया, लेकिन बाद में लॉन्चिंग को टाल ही दिया गया.
इस मिशन को पूरा होने में करीब दो मिनट का वक्त लगेगा, जिसके तहत नए सेमी क्रायोजेनिक इंजन और 3डी-प्रिंटेड पार्ट्स को टेस्ट किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल रहता है तो यह भारत के लिए स्पेस टेक की दुनिया में एक बड़ा कदम होगा. बता दें कि अभी तक इसरो भी सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को सफलतापूर्वक लॉन्च नहीं कर सका है, जिसें प्रोपेलेंट की तरह लिक्विड और गैस के मिश्रण को इस्तेमाल किया जाता है.
पिछले साल जुटाई थी ₹200 करोड़ की फंडिंग
स्पेस-टेक स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने पिछले ही साल अक्टूबर के महीने में घोषणा की थी कि उसने सीरीज बी राउंड की फंडिंग (Funding) के जरिए कुल 200 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस स्टार्टअप (Startup) का इनक्युबेशन IIT-Madras की तरफ से किया गया है. जिस रॉकेट को टेस्ट फायर किया जा रहा है, उसका नाम है अग्निबाण सॉर्टेड (Agnibaan SOrTeD). इस रॉकेट को जिस इंजन से पावर मिल रही है, उसे बनाने में अभी तक इसरो भी कोशिशें कर रहा है. यह लॉन्च बहुत ही अहम है, क्योंकि किसी निजी लॉन्च पैड से लॉन्च होने वाला यह भारत का पहला रॉकेट है. रॉकेट में दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और मैन्युफैक्चर किया गया है.
इस स्टार्टअप (Startup) ने फंडिंग भी इसी लिए उठाई थी, ताकि वह अपने बिजनेस को बढ़ा सके और रॉकेट का टेस्ट फायर कर सके. अग्निकुल ने लॉन्च व्हीकल अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर (Agnibaan SubOrbital Technology Demonstrator) का अपने प्राइवेट लॉन्चपैड पर इंटीग्रेशन फंडिंग मिलते ही शुरू कर दिया था.
एक दशक में 44 अरब डॉलर का हो जाएगा मार्केट
भारत के स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर ने अनुमान लगाया है कि अगले एक दशक में स्पेस सेक्टर का मार्केट 44 अरब डॉलर तक का हो जाएगा, जो अभी 8 अरब डॉलर पर है. IIT-Madras कैंपस की तरफ से शुरू किए गए अग्निकुल ने जल्द ही कुछ और लोगों की हायरिंग करने की योजना बनाई है. कंपनी अभी अपना मुख्य फोकस प्रोडक्शन और ऑपरेशन पर रखना चाहती है.
2021 में हुई थी अग्निकुल की शुरुआत
साल 2021 में अग्निकुल ने सफलतापूर्वक Agnilet को टेस्ट फायर किया था. यह दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन था, जिसे पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया था. इसके लिए कंपनी ने सरकार से पेटेंट भी हासिल किया हुआ है. अग्निकुल ने पिछले ही साल अपनी तरह की एक खास फैक्ट्री की भी शुरुआत की है, जो रॉकेट की एंड-टू-एंड 3डी प्रिंटिंग करती है. यह रॉकेट 580 किलो वजन का है, जो श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा और अपनी पहले टेस्ट फायर में यह धरती से अधिक से अधिक 20 किलोमीटर ऊपर ही जा सकता है. इसके बाद यह बंगाल की खाड़ी में डूब जाएगा. बता दें कि यह रॉकेट 7 किलो पेलोड अपने साथ ले जा सकता है.
12:55 PM IST