Housing Sales: सस्ते घरों की मांग घटने से बिल्डर्स की नजर अब महंगे घरों से कमाई पर, ₹40 लाख की प्रॉपर्टी में आएगी कमी!
एनारॉक के एक सर्वे में सामने आया है कि बिल्डर्स अब महंगे घरों को बनाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसकी वजह ये है कि सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है. वहीं 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लग्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है.
कोरोना काल के बाद से लोगों में बड़े घर खरीदने की चाहत बढ़ गई है. होम बायर्स अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब छोटे घरों की अपेक्षा में बड़े घरों को अहमियत दे रहे हैं.
कोरोना काल के बाद से लोगों में बड़े घर खरीदने की चाहत बढ़ गई है. होम बायर्स अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब छोटे घरों की अपेक्षा में बड़े घरों को अहमियत दे रहे हैं.
Housing Sales in India: देश में अब महंगे घरों की मांग काफी ज्यादा बढ़ रही है. रियल स्टेट एजेंसी एनारॉक की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि बिल्डर अब 40 लाख रुपये या इससे कम कीमत के मकानों की पेशकश में कमी ला रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के सात प्रमुख शहरों में नए घरों की पेशकश में सस्ते या किफायती मकानों का हिस्सा घटकर मात्र 18 फीसदी रह गया है. इसका एक कारण यह है कि कोरोना काल के बाद से लोगों में बड़े घर खरीदने की चाहत बढ़ गई है. होम बायर्स अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब छोटे घरों की अपेक्षा में बड़े घरों को अहमियत दे रहे हैं.
इस साल के बाद आई भारी गिरावट
जुलाई-सितंबर 2018 में कुल नए मकानों की पेशकश में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 42% थी. एनारॉक के सात प्रमुख शहरों पर आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर 2023 के दौरान नए घरों की कुल आपूर्ति 1,16,220 इकाई रही. इसमें सस्ते या किफायती घरों का हिस्सा 20,920 इकाई या 18% रहा. जुलाई-सितंबर 2018 में नए घरों की कुल आपूर्ति 52,120 इकाई थी, जिनमें से 21,900 (42%) किफायती घर थे. वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में नई आपूर्ति में सस्ते घरों की हिस्सेदारी 41% थी, जो 2021 की तीसरी तिमाही में घटकर 24% रह गई.
किफायती घरों में कमी क्यों?
एनारॉक की रिपोर्ट में सात शहरों - दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे के आंकड़ों को शामिल किया गया है. माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लग्जरी आवासीय परियोजनाओं (luxury residential project) पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है. इसके अलावा जमीन की ऊंची लागत की वजह से आज किफायती आवासीय परियोजनाएं बिल्डरों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गई हैं.
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लग्जरी घरों की मांग में उछाल
एनारॉक ने कहा कि जहां कुल नई आपूर्ति में किफायती घरों की हिस्सेदारी कम हो रही है, वहीं 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लग्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है. वास्तव में पिछले पांच साल में यह तीन गुना हो गई है. शीर्ष सात शहरों में जुलाई-सितंबर में पेश की गई 1,16,220 इकाइयों में से 27 फीसदी (31,180 इकाइयां) लक्जरी श्रेणी में थीं. एनारॉक ने कहा, यह पिछले पांच साल में लक्जरी मकानों की आपूर्ति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. वित्त वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में लक्जरी घरों की कुल आपूर्ति में हिस्सेदारी सिर्फ नौ फीसदी थी. उस समय पेश की गई 52,120 इकाइयों में से केवल 4,590 लक्जरी श्रेणी की थीं.
एनारॉक ने बताई ये वजह
एनारॉक समूह के क्षेत्रीय डायरेक्टर एवं रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर ने कहा कि महामारी के बाद शानदार प्रदर्शन के कारण डेवलपर्स लक्जरी आवास खंड को लेकर उत्साहित हैं. ठाकुर ने कहा कि महामारी के बाद घर खरीदार बड़ा घर खरीदना चाहते हैं. इसके अलावा वे बेहतर सुविधाएं और अपनी पसंद की जगह पर घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं.
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04:07 PM IST