देश की सबसे आधुनिक रेलगाड़ी Train 18 ने अपने पहले स्पीड ट्रायल के दौरान ही देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. दरअसल Train 18 का स्पीड ट्रायल कोटा से सवाईमाधोपुर के बीच किया जा रहा है. यह गाड़ी अपने पहले स्पीड ट्रायल के दौरान 160 किलोमीटर से अधिक गति से बिना किसी दिक्कत के दौड़ी. इसे रेलवे की ओर से बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. अब तक देश में सिफ गतिमान एक्सप्रेस ही 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति से चल सकी है. ये ट्रेन भी आगरा से दिल्ली के बीच बेहद सीमित दूरी में इस गति पर चल पाती है. सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में Train 18 को 160 किलोमीटर से अधिक गति से भी चलाया जा सकता है. इस गाड़ी को 180 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति पर चला कर परीक्षण करने की अनुमति मिली हुई है. सबसे बड़ी बात ये है कि 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति पर चलने पर भी Train 18 में न तो कोई झटका लगा न तो कोई कंपन की आवाज हुई. कहा जाए तो यह गाड़ी सभी पैमानों पर पास हो गई. जल्द ही इस गाड़ी के और ट्रायल भी किए जाएंगे.

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Train 18 का तकनीकी ट्रायल हो चुका है

भारतीय रेल में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गई सेमी हाईस्पीड ट्रेन-18 का तकनीकी ट्रायल मुरादाबाद से बरेली के बीच किया जा चुका है. यहां यह रेलगाड़ी सभी परीक्षणों में पास हो चुकी है. मुरादाबाद मंडल में सफल परीक्षण के बाद Train 18 के स्पीड ट्रायल के लिए इस गाड़ी को 26 नवम्बर को कोटा पहुंच दिया गया. इसके बाद यहां इस गाड़ी के स्पीड ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं. इस ट्रायल के दौरान गाड़ी को तेज गति पर चला कर देखा जाएगा कि कहीं इसमें कोई झटका तो नहीं लगता या किसी तरह का कंपन तो नहीं होता है. स्पीड ट्रायल में सफल होने के बाद इस गाड़ी को चलाने की अनुमति के लिए कमिश्नर रेलवे सेफ्टी को पत्र लिखा जाएगा.

Train 18 को ले कर ICF को हैं काफी उम्मीदें

देश में भारतीय रेलवे की सबसे आधुनिक रेलगाड़ी Train 18 की सफलता को ले इस गाड़ी को बनाने वाली रेलवे की कोच फैक्ट्री ICF के लोग काफी उत्साहित हैं. दरअसल ICF को इस गाड़ी के सफलता पूर्वक देश में चलाए जाने पर जहां भारतीय रेलवे से काफी बड़े ऑर्डर मिलने की उम्मीद है वहीं इस गाड़ी के लिए दुनिया भर से ऑर्डर मिल सकते हैं. ICF ने इस गाड़ी को देश में मात्र 100 करोड़ रुपये में बनाया है जबकि इसी तरह की गाड़ी किसी पश्चिमी देश से खरीदने पर लगभग 250 करोड़ रुपये तक की लागत आ सकती है.Train 18 को देश में रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने में एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है. पूरी तरह से भारत में बनी इस रेलगाड़ी को ले कर दुनिया भर में उत्सुक्ता है. रेलवे गैजेट नाम के रेलवे पर लिखने वाले एक अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन  (जिसका मुख्यालय लंदन में है ) ने इस गाड़ी के बारे में लिखा है कि मेक इन इंडिया के तहत बना T 18 का प्रोटोटाइप टेस्ट के लिए तैयार है. इस ट्रेन का प्रयोग दो शहरों के बीच यात्रा के लिए किया जा सकता है.

कई देशों को निर्यात कर रही है ICF

गौरतलब है कि रेलवे की चेन्नई स्थित ICF कोच फैक्ट्री मलेशिया, फिलिपींस, ताईवान, वियतनाम, बांगलादेश, तंजानिया, मोजैम्बिक, अंगोला, नाइजीरिया, युगांडा व कुछ अन्य देशों के लिए रेलगाड़ियों के डिब्बे या उनके पुर्जे बना कर निर्यात कर रही है. श्रीलंका को खास तरह की डीएमयू रेलगाड़ी दिए जाने के बाद उम्मीद की जा रही है कि रेलवे को इस तरह की गाड़ियों के कई और बड़े ऑर्डर मिल सकते हैं. श्रीलंका का ज्यादातर हिस्सा समुद्र तटों के करीब है. ऐसे में यहां लोहे में जंग लगने की समस्या रहती है. इसको ध्यान में रखते हुए इस रेलगाड़ी को खास तरह के स्टील से बनाया गया है. इस स्टील पर जंग नहीं लगती है. इस गाड़ी को ले कर श्रीलंका रेलवे काफी उत्साहित है और गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए ICF को और ऑर्डर देने पर विचार कर रही है.