रेलवे अपनी सभी रेलगाड़ियों में लिंके होफमैन बुस्च (एलएचबी) तकनीक से बने डिब्बे लगा रहा है. इन डिब्बों में लगने वाले पहिए अब तक देश में आयात किए जाते थे. लेकिन भारत सरकार के उपक्रम स्टील एथारिटी ऑफ इंडिया ने इन पहियों को देश में विकसित कर लिया है. सेल को रेलवे की ओर से लगभग 1000 पहियों के उत्पादन का ऑर्डर भी मिल गया है. जिसे सेल की ओर से जल्द पूरा किए जाने की संभावना है. सेल की इस उपलब्धी से जहां देश में एलएचबी डिब्बों के लिए पहिए तेजी से बनाए जा सकेंगे वहीं इन पहियों को महंगी कीमतों पर आयात भी नहीं करना होगा.

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सेल के विकसित पहियों को आरडीएसओ से मिली अनुमति

एलएचबी व्हील को सेल के रिसर्च एंड डिवलपमेंट सेंटर फॉर आयरन एंड स्टील (आरडीसीआईएस) और रेलवे के रिसर्च डिजाइन एवं स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) के मानक गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया गया है, जो किसी टकराव की स्थिति में ट्रेन को पलटने या घूमने से रोकने में सक्षम होंगे. एलएचबी कोच में पहले से ही पलटने या मुड़ने की प्रतिरोधी क्षमता है. इसके साथ ही ये एलएचबी व्हील आधुनिक नूमैटिक डिस्क ब्रेक प्रणाली के अनुरूप हैं, जो तेज गति के दौरान अचानक और प्रभावी ब्रेक को सह सकें और रेल या मालगाड़ी को संभाल सकें. उत्पादन की प्रक्रिया और उत्पाद की मानकों की गुणवत्ता के लिए आरडीएसओ से पुष्टि हो गई है. भारतीय रेलवे के मानकों के अनुरूप प्रत्येक व्हील की 100 प्रतिशत परीक्षण किया जाता है, जिसमें दबाव सहने की क्षमता, तनाव और सहनशक्ति, सुदृढ़ता जांच, अल्ट्रासोनिक टेस्ट, फ्रैक्चर प्रतिरोधी ऊर्जा सहनशक्ति, चुम्बकीय क्षमता का निरीक्षण, सुदृढ़ता की ऑनलाइन जांच’, समावेश रेटिंग इत्यादि शामिल हैं.

 

कोलकाता मेट्रो को भी पहिए देने शुरू किए

सेल के दुर्गापुर संयंत्र ने कोलकाता मेट्रो के लिए सेल व्हील (पहियों) आपूर्ति शुरू कर दी है. यह आयात कम करने और मेकिंग इन इण्डिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.   इससे पहले कोलकाता मेट्रो रेलवे के लिए पहियों का आयात किया जा रहा था. कोलकाता मेट्रो व्हील का विकास पूरी तरह से घरेलू संसाधनों से किया गया है. कोलकाता मेट्रो व्हील का डिजाइन इसकी जटिल वेब प्रोफ़ाइल के कारण महत्वपूर्ण है. इन पहियों के आयाम भी मौजूदा पहियों से अलग हैं. इन्हें न्यू डिजाइनिंग ऑफ फोर्जिंग डाई, रोल्स और बाद के निर्माण, हीट ट्रीटमेंटऔर मैचिंग की प्रक्रिया से तैयार किया गया है और  आरडीएसओ की उपस्थिति में निरीक्षण गया है. सेल-दुर्गापुर संयंत्र कोलकाता मेट्रो की पूरी मांग को पूरा करने के लिए तैयार है.