इस ट्रेन में यात्रा हुई और आरामदायक, रेलवे ने किया ये बड़ा बदलाव
पश्चिम रेलवे (Railways) के राजकोट मंडल से होकर जानेवाली ट्रेन संख्या 16333/16334 वेरावल - तिरुअनंतपुरम - वेरावल (Veraval-Thiruvanthapuram-Veraval) साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन 25 जुलाई 2019 से LHB (लिंक हॉफमेन बुश) डिब्बों से बने रेक के साथ चलेगी. इस ट्रेन में कुल 22 डिब्बे होंगे. इसमें से एक 2AC, 3AC के 06 डिब्बे, 10 स्लीपर और दो जनरल श्रेणी के डिब्बे होंगे.
पश्चिम रेलवे (Railways) के राजकोट मंडल से होकर जानेवाली ट्रेन संख्या 16333/16334 वेरावल - तिरुअनंतपुरम - वेरावल (Veraval-Thiruvanthapuram-Veraval) साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन 25 जुलाई 2019 से LHB (लिंक हॉफमेन बुश) डिब्बों से बने रेक के साथ चलेगी. इस ट्रेन में कुल 22 डिब्बे होंगे. इसमें से एक 2AC, 3AC के 06 डिब्बे, 10 स्लीपर और दो जनरल श्रेणी के डिब्बे होंगे.
एलएचबी कोच का सबसे बड़ा फायदा
एलएचबी कोच इस तरह से बनाए जाते हैं की रेल हादसे के दौरान एक डिब्बा दूसरे डिब्बे के ऊपर चढ़ता नहीं है. ऐसे में जान - माल का नुकसान कम से कम होता है. वहीं पारंपरिक तकनीक से बने डिब्बे हादसे के दौरान एक दूसरे पर चढ़ जाते हैं. सीबीसी कपलिंग तकनीक के कारण हादसे में नुकसान कम होता है.
बेहद आरामदायक होते हैं ये डिब्बे
एलएचबी कोच पुराने कंवेशनल कोच से काफी अलग होते हैं. ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है. पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन चलने की आवाज बहुत धीमी सुनाई देती है. साथ ही इस डिब्बों में पुराने कोच की तुलना में जगह अधिक होने से यात्रा आरामदायक होती है. एचएचबी कोच स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम से बने होते हैं. जिससे कि यह कोच पहले की तुलना में हल्का होता हैं.
बंद हागा पुराने डिब्बों का उत्पादन
रेलवे ने यात्रियों को सुरक्षित एवं आरामदेह सफर उपलब्ध कराने के लिए पारंपरिक आईसीएफ डिब्बों का निर्माण 2018-19 से पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया है. वर्ष 2017-18 से एलएचबी डिब्बों का निर्माण तेजी से किया जाएगा. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एलएचबी डिब्बों का निर्माण लक्ष्य वर्ष 2016-17 के 1697 से बढ़ाकर 2017-18 में 2384 कर दिया गया है और वर्ष 2018-19 में 3025 एलएचबी डिब्बे बनाये जाएंगे.