रेलवे की ओर से गाड़ी संख्या 15021/15022 गोरखपुर से शालीमार के बीच चलने वाली एक्सप्रेस रेलगाड़ी व गाड़ी संख्या 15029/15030 गोरखपुर- पुणे एक्सप्रेस में पारंपरिक आईसीएफ डिब्बों को बदल कर एलएचबी तकनीक से बने नए डिब्बे लगाने का निर्णय लिया गया है. एलएचबी जर्मन तकनीक है. इस तकनीक से बने डिब्बे अधिक आरामदायक व सुरक्षित हैं.

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इस दिन से और आरामदायक हो जाएंगी ये ट्रेनें

गोरखपुर-शालीमार एक्सप्रेस में गोरखपुर से 20 मई, 2019 से, व शालीमार-गोरखपुर एक्सप्रेस में शालीमार से 21 मई, 2019 एलएचबी रेक लगा दिया जाएगा. वहीं गोरखपुर-पुणे एक्सप्रेस में गोरखपुर से 23 मई, 2019 तथा पुणे से गोरखपुर के लिए चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में पुणे से 25 मई 2019 से एलएचबी रेक लगाने का निर्णय लिया गया है.

इन ट्रेनों में होंगे इतने डिब्बे

एचएचबी रेक में परिवर्तन के बाद इन रेलगाड़ियों में सामान्य श्रेणी के 07, स्लीपर श्रेणी के 08, वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के 03, वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी का 01 तथा पावर कार के 02 को चलेंगे. इस ट्रेन में कुल 21 कोच होंगे.

ये होता है एचएचबी तकनीक के कोच का लाभ

एलएचबी कोच पुराने पारंपरिक कोच से काफी बेहतर होते हैं. ये उच्च तकनीक से बनाए गए हैं. एलएचबी रेक में ट्रेन जब चल रही हो तो अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन चलने की आवाज बहुत धीमी सुनाई देती है. साथ ही पारंपरिक डिब्बों की तुलना में इन डिब्बों में जगह अधिक होती है. इसके चलते ये काफी आरामदायक होती है. एचएचबी कोच स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम से बने होते हैं. जिससे कि यह कोच पारंपरिक कोच की तुलना में हल्का होता हैं. सीबीसी कपलिंग तकनीक के कारण हादसे में दुर्घटना की संभावना कम होती है. दुर्घटना होने के पर भी बोगियां एक-दूसरे पर नहीं चढ़ती है.

रेलवे बंद करेगा पारंपरिक डिब्बों का उत्पादन

रेलवे ने यात्रियों को सुरक्षित एवं आरामदेह सफर उपलब्ध कराने के लिए पारंपरिक आईसीएफ डिब्बों का निर्माण 2018-19 से पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एलएचबी डिब्बों का निर्माण लक्ष्य वर्ष 2016-17 के 1697 से बढ़ाकर 2017-18 में 2384 कर दिया गया है और वर्ष 2018-19 में 3025 एलएचबी डिब्बे बनाये जाएंगे.