रेलवे ने रोज लाखों लीटर पानी बचाने की बनाई रणनीति, शुरू हुआ ये काम
रेलवे में गाड़ियों की धुलाई हो या स्टेशन की सफाई सभी में काफी बड़े पैमाने पर पानी खर्च होता है. रेलवे अब प्रयोग हो चुके पानी को फिर से प्रयोग करने की रणनीति पर काम कर रहा है. इसी के तहत शकूरबस्ती कोचिंग टर्मिनल में गाड़ियों की सफाई के बाद निकलने वाले पानी को फिर से प्रयोग करने के लिए यहां गंदे पानी को साफ करने की मशीन लगाई गई है.
रेलवे में गाड़ियों की धुलाई हो या स्टेशन की सफाई सभी में काफी बड़े पैमाने पर पानी खर्च होता है. रेलवे अब इस पानी के खर्च को कम करने और प्रयोग हो चुके पानी को फिर से प्रयोग करने की रणनीति पर काम कर रहा है. इसी के तहत शकूरबस्ती कोचिंग टर्मिनल में गाड़ियों की सफाई के बाद निकलने वाले पानी को फिर से प्रयोग करने के लिए यहां पानी को फिर से प्रयोग किए जानो लायक बनाने की मशीन लगाई गई है. गौरतलब है कि शकूरबस्ती में पानी की कमी है और रेलवे की ओर से उपयोग के लिए काफी पानी दिल्ली जल बोर्ड से लिया जाता है.
06 लाख लीटर पानी रोज साफ होगा
शकूरबस्ती में 6 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले ऑटोमैटिक अपशिष्ट जलशोधन एवं पुनर्चक्रण संयंत्र की शुरूआत की गयी है. इससे प्रतिवर्ष 58 मिलियन गैलन पानी को साफ कर फिर से प्रयोग किया जाएगा. इससे लगभग इतने ही ताजा पानी की मांग में कमी आयेगी.
2.21 करोड़ की लागत से बनाया गया प्लांट
ऑटोमैटिक अपशिष्ट जलशोधन एवं पुनर्चक्रण संयंत्र का निर्माण आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 2.21 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इसमें 5 वर्ष तक इसके संचालन और इसके अनुरक्षण का कार्य भी शामिल होगा. यह संयंत्र पूरी तरह से स्वचालित है और उत्तर रेलवे पर अपनी तरह का पहला संयंत्र है् इस संयंत्र से जल पुनर्चक्रण की प्रति लीटर लागत लगभग 3 पैसा होगी.
सफाई के बाद निकलने वाले पानी को साफ किया जाएगा
वाशिंग लाइन का अपशिष्ट जल, जोकि पहले सीवर लाइन में छोडा जाता था, अब एक जगह एकत्र कर वाशिंग लाइन परिसर पास ही बनाए गए पानी साफ करने वाले संयत्र में भेजा जाएगा. पानी साफ होने के बाद साफ किए गए पानी को रेलगाड़ियों की साफ-सफाई के लिए वाशिंग लाइन में भेज दिया जाएगा. इस प्लांट के जरिए साफ किए गए पानी की जांच रिपोर्ट यह बताती है कि यह पानी बी.आई.एस. मानकों की सुरक्षित सीमा के भीतर है. ऐसे में इसे प्रयोग करने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.