देश से सबसे लंबे रोड-रेल ब्रिज का PM मोदी ने किया उद्घाटन, जानें क्यों है महत्वपूर्ण यह पुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को असम में देश का के सबसे लम्बे पुल बोगीबील का उद्घाटन किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पुल पर कुछ दूर पैदल यात्रा भी की. यहां जगह - जगह रुक कर उन्होंने पुल के बारे में अधिकारियों से जानकारी भी ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को असम में देश का के सबसे लम्बे पुल बोगीबील का उद्घाटन किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने पुल पर कुछ दूर पैदल यात्रा भी की. यहां जगह - जगह रुक कर उन्होंने पुल के बारे में अधिकारियों से जानकारी भी ली. आज क्रिसमस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह खूबसूरत तोहफा राष्ट्र को समर्पित किया है. बोगीबील पुल का शुभारंभ किए जाने के दौरान प्रधानमंत्री जब पुल से गुजर रहे थे तो नीचे की तरफ बड़ी संख्या में लोग प्रधानमंत्री को देखने पहुंचे. प्रधानमंत्री ने भी लोगों का हाथ हिला कर अभिवादन किया.
बेहद महत्वपूर्ण है ये पुल
ये पुल ब्रह्म्पुत्र नदी पर बना हुआ है. इस पुल के बन जाने से अरुणाचल प्रदेश और चीन की सीमा से लगे इलाकों के लिए असम तक आना जाना बेहद आसान हो जाएगा. यह पुल डिब्रुगढ़ को ढेमाजी से जोडेगा. इस पुल का फायदा सेना को काफी बड़ें पैमाने पर मिलेगा. इस पुल के जरिए मिनटों में चीन की सीमा तक सेना का सामान पहुंचाया जा सकेगा.
बचेंगा 10 घंटे से अधिक का समय
तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस सप्ताह में पांच दिन चलेगी. कुल 4.9 किलोमीटर लंबे इस पुल की मदद से असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन कस्बे तक की रेलयात्रा में लगने वाले समय में 10 घंटे से अधिक की कमी आने की आशा है. पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे के प्रवक्ता नितिन भट्टाचार्य ने बताया, ‘‘मौजूदा समय में इस दूरी को पार करने में 15 से 20 घंटे का समय की तुलना में अब इसमें साढ़े पांच घंटे का समय लगेगा. इससे पहले यात्रियों को रेल भी कई बार रेल बदलनी पड़ती थी.’’
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भूकंप का इस पुल पर नहीं होगा असर
ये पुल जिस इलाके में बना हुआ है यहां पर अक्सर रिक्टर स्केल पर 07 तक की तीर्वता के भूकंप अक्सर आते रहते हैं. लेकिन इस पुल को इस तरह से बनाया गया है कि इस पर इन भूकंपों का कोई असर नहीं होगा.
ये रेलगाड़ी इस पुल से गुजरेगी
कुल 14 कोचों वाली चेयर कार रेलगाड़ी तिनसुकिया से दोपहर में रवाना होगी और नाहरलगुन से सुबह वापसी करेगी. बोगीबील पुल असम के डिब्रूगढ़ जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट को अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती धेमाजी जिले में सिलापाथर को जोड़ेगा.
आसान होगा जीवन
यह पुल और रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण होने जा रही है, क्योंकि मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं. इससे ईटानगर के लोगों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है.
120 सालों तक चलेगा ये पुल
एशिया के दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल बोगीबील की मियाद कम से कम 120 वर्ष है. मुख्य अभियंता मोहिंदर सिंह ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4.9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है. उन्होंने बताया कि पूरी तरह से जुड़े पुल का रखरखाव काफी सस्ता होता है. इस पुल के निर्माण में 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है और इसकी मियाद 120 वर्ष है. इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी. इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा. इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी.
1997 में इस पुल की नीव रखी गई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 दिसम्बर को बोगीबील पुल को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इस पुल की नीव 1997 में रखी गई थी. तत्कालिक प्रधानमंत्री एचडी देवीगौड़ा ने इस पुल का शिलान्यास किया था. इस पुल को बनाने का काम 2002 में शुरू हो सका. उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे. इस पुल को बनाने का उद्देश्य देश के पूर्वी बॉर्डर के लगे हिस्से में आवागमन को और सुलभ बनाना है.
सेना को सामान ले जाने में हाेगी सहूलियत
बोगीबील पुल को इस तरह से बनाया गया है कि इस पर रेलगाड़ी व कार एक साथ चल सकेंगे. इसके चलते यह स्थानीय लोगों के लिए एक बड़े तोहफे के तौर पर है. इस पुल से भारतीय सेना का 1700 मिट्रिक टन तक का टैंक तक ले जाया जा सकता है. पुल को बनाने में वेल्डेड गार्डरों का प्रयोग किया गया है.