दिल्ली से वाराणसी के बीच चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस (Train 18) का अगला रेक आने में कुछ समय लग सकता है. वंदे भारत का अगला रेक अप्रैल के अंत तक आने की उम्मीद है. दरअसल पहले रेक में कुछ कमियां पाई गई हैं जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं नए रेल में ऐसे शीशे लगाए जांगे जिन पर पत्थर पड़ने पर वो टूटें नहीं. आईसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अब तक लगभग 45 Train 18 रेक बनाने का ऑर्डर आईसीएफ को मिल चुका है. हम प्रयास कर रहे हैं कि हर महीने एक ट्रेन को बनाने का काम पूरा किया जा सके. पहली ट्रेन की तुलना में आने वाले नए रेक और बेहतर होंगे.

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कई रूटों पर वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाए जाने की है योजना

दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस की ट्रेन की सफलता के बाद रेलवे कई रूटों पर इस तरह की ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है. खबरों के अुनसार रेलवे दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-भोपाल के अलावा चेन्नई-मंगलूर और हैदराबाद-मंगलूर रूट रूटों पर आने वाले समय में वंदे भारत एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को चला सकता है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार शताब्दी रेलगाड़ियों की जगह पर वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाने की योजना है. इसके लिए कई रूट चिन्हित किए जा रहे हैं.

500 किलोमीटर तक की दूरी के लिए ही चलेगी वंदे भारत एक्सप्रेस

भारतीय रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस का पहला रेक दिल्ली से वराणसी के बीच चलाया है. इन दोनों स्टेशनों की दूरी लगभग 750 किलोमीटर के करीब है. इतनी अधिक दूरी के चलते इस गाड़ी को चलाने और समय पर पहुंचाने में कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. दरअसल इस गाड़ी को शताब्दी रेलगाड़ियों की जगह पर चलाया जाना है. सभी शताब्दी रेलगाड़ियां लगभग 500 किलोमीटर तक की दूरी के लिए चलाई जाती हैं. ऐसे में आने वाले समय में चलने वाली सभी वंदे भारत एक्सपेस ट्रेन 500 किलोमीटर तक की दूरी के लिए चलाई जा सकती हैं. इन ट्रेनों को इस हिसाब से डिजाइन किया गया है कि वो एक दिन में अपने गंतव्य तक जा कर वापस आ सकें.

नए रेक में होंगे कई बदलाव

वंदे भारत एक्सप्रेस के नए रेक में कई बदलाव किए जा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर चेयरकार श्रेणी की सीटों को अधिक आरामदायक बनाया जा रहा है. इब ये सीटें पीछे की ओर ज्यादा झुक सकेंगी. इनमें खाना रखने की जगह भी ज्यादा होगी. शौचालयों में भी मामूली सुधार किए जा रहे हैं. वहीं गाड़ी के अंदर की आवाज को भी कम करने का प्रयास किया जा रहा है.