भारतीय रेलवे (Indian Railways) मुसाफिरों की यात्रा को आसान और आरामदायक बनाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है. इसी दिशा में रेलवे ने इलाहाबाद से झांसी होते हुए लोकमान्य तिलक टर्मिनस मुंबई तक चलने वाली तुलसी एक्सप्रेस में LHB डिब्बे लगाने का फैसला लिया है. इस ट्रेन में 10 सितम्बर से LHB डिब्बे लगाए जाएंगे. LHB तकनीक जर्मन तकनीक है. इससे बने डिब्बे अधिक सुरक्षित होते हैं.

बढ़गी सीटों की संख्या
तुलसी एक्सप्रेस में LHB डिब्बे लगाए जाने से ट्रेन में स्लीपर और एसी क्लास के डिब्बों में सीटों की संख्या बढ़ जाएगी. इससे अधिक संख्या में यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल सकेगा. सामान्य कोच की लम्बाई लगभग 22 मीटर होती है. जबकि एलएचबी कोच की लम्बाई लगभग 23.54 मीटर होती है. ऐसे में पुराने डिब्बों में जहां स्लीपर कोच में 72 सीटें होती हैं वहीं LHB में 80 तक सीटें होंगी. 3AC डिब्बे में भी सीटों की संख्या बढ़ जाएगी.
 
ट्रेन को LHB में बदलने का ये मिलेगा फायदा
एलएचबी कोच पुराने कंवेशनल कोच से काफी अलग होते हैं. ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है. पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन चलने की आवाज बहुत धीमी सुनाई देती है. साथ ही इस डिब्बों में पुराने कोच की तुलना में जगह अधिक होने से यात्रा आरामदायक होती है. एचएचबी कोच स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम से बने होते हैं. जिससे कि यह कोच पहले की तुलना में हल्काहोता हैं. सीबीसी कपलिंग तकनीक के कारण हादसे में दुर्घटना की संभावना कम होती है. दुर्घटना होने के पर भी बोगियां एक-दूसरे पर नहीं चढ़ती है.
 
रेलवे बंद करेगा पुराने डिब्बों का प्रोडक्शन
रेलवे ने यात्रियों को सुरक्षित एवं आरामदेह सफर उपलब्ध कराने के लिए पारंपरिक आईसीएफ डिब्बों का निर्माण 2018-19 से पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया है. वर्ष 2017-18 से एलएचबी डिब्बों का निर्माण तेजी से किया जाएगा. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एलएचबी डिब्बों का निर्माण लक्ष्य वर्ष 2016-17 के 1697 से बढ़ाकर 2017-18 में 2384 कर दिया गया है और वर्ष 2018-19 में 3025 एलएचबी डिब्बे बनाये जाएंगे.