Michaung cyclone, Indian Railways: चक्रवात मिचौंग के कारण चेन्नई में भारी बारिश हो रही है. चक्रवात के प्रभाव से चेन्नई और उसके आसपास के जिलों में सोमवार को जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस बीच भारतीय रेलवे ने तूफान से निपटने के लिए कमर कस ली है. भारतीय रेल ने चक्रवाती तूफान ‘मिचौंग’ से संभावित रूप से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सुरक्षित रेलवे के परिचालन को सुनिश्चित व प्रबंधित करने हेतु अपने पूरे तंत्र को बड़े पैमाने पर तैयार किया है. 

Michaung Cyclone, Indian Railways: 24 घंटे करनी होगी निगरानी, स्थापित किया जाएगा इमजेंसी कंट्रोल रूम 

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भारतीय रेल ने चक्रवात से संबंधित डिजास्टर मैनेजमेंट की तैयारियों के तहत, 24 घंटे निगरानी रखने और ट्रेनों के परिचालन के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए मंडल/मुख्यालय स्तर पर हर शिफ्ट में परिचालन, वाणिज्यिक, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल/दूरसंचार, सुरक्षा आदि शाखाओं के अधिकारियों से लैस एक आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है. बोर्ड स्तर पर वॉर रूम भी एक्टिव कर दिया गया है और 24 घंटे सभी लोकेशन की निगरानी की जा रही है. 

Michaung Cyclone, Indian Railways: जारी की है 14 प्वाइंट्स गाइडलाइन 

रेलवे ने 14 प्वाइंट्स गाइडलाइन भी जारी की है. गाइडलाइन के मुताबिक सबसे ज्यादा ध्यान जनहानि को रोकने और रेलवे की प्रॉपर्टी को होने वाले नुकसान को कम रखने पर होना चाहिए. इसके लिए, यदि जरूरी हो, तो मुख्यालय की सलाह से टारगेटेड डिविजन पर सभी ट्रेनों, यात्री और माल ढुलाई, का ऑपरेशन सस्पेंड किया जा सकता है. चक्रवात से पहले/साथ में लगातार बारिश होगी. जिन डिविजन पर लगातार बारिश के बावजूद ट्रेनें चलायी जानी हैं, वहां मॉनसून गश्त सुनिश्चित की जानी चाहिए.

  • मॉनसून रिजर्व ट्रेनें, दुर्घटना राहत ट्रेनें, टावर वैगन को तैयार रखा जाना चाहिए. इनमें पूरी तरह से ईंधन से भरा होना चाहिए और उपकरणों, पुर्जों, सहायक उपकरणों और राशन के पूर्ण पूरक के साथ (जहां भी स्व-चालित नहीं हो वहां लोको प्रदान किए जाने चाहिए).
  • बहाली कार्य में भाग लेने के लिए ट्रैक, ट्रैक्शन एवं सिग्नल और दूरसंचार के ब्रेकडाउन स्टाफ को पर्याप्त संख्या में तैयार रखा जाएगा.
  • इमरजेंसी स्थिति से निपटने हेतु आवश्यक ट्रेनों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए पर्याप्त संख्या में पूरी तरह से ईंधन वाले डीजल लोको को तैयार रखा जाएगा.
  • चक्रवात का खतरा स्पष्ट होते ही बूम को क्षतिग्रस्त होने से बचाने हेतु चक्रवात संभावित खंडों में सभी एलसी गेटों पर बूम नीचे रख दिए जायेंगे. इसके लिए यह आवश्यक है कि संबंधित जिला कलेक्टरों को सूचित किया जाए ताकि इन एलसी गेटों का उपयोग करने वाले यातायात को उचित रूप से विनियमित/मोड़ा जा सके.
  • क्षति को रोकने के लिए ट्रैक क्षेत्र (गैर रेलवे सहित) के निकट काम करने वाले सभी क्रेनों के जिब को नीचे किया जाना चाहिए.
  • निकासी की आवश्यकता का आंकलन करने और उचित राहत की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा कॉलोनियों पर नजर रखी जाएगी. डीआरएम इस प्रयोजन के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों को नामित करेंगे. ऐसे स्थानों पर एक पर्यवेक्षक तैनात किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन स्थानों पर निवासियों की बुनियादी सुविधा सुनिश्चित हो.
  • ट्रेनों को पूर्ण रूप से रद्द किए जाने/आंशिक रूप से रद्द किए जाने/पुनर्निर्धारण/मार्ग परिवर्तन की स्थिति में यात्रियों को समय पर सूचना दी जानी चाहिए.
  • चक्रवात के संभावित आगमन से एक दिन पहले शाम तक यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलों पर ओएचई मास्ट/एसएंडटी टावरों/लाइटिंग मास्टों जैसी ऊंची पृथक संरचनाओं में सभी एंकर बोल्ट पूरी तरह से कसे हों। यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त तान तार उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
  • उन स्थानों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी जहां पिछले चक्रवातों के दौरान सबसे अधिक क्षति हुई थी.

प्रभाव के पूर्वानुमानित क्षेत्र में ऊंची इमारतें क्षति की दृष्टि से संवेदनशील होती हैं और सभी खिड़कियां आदि बंद करने, आसपास के क्षेत्र में होर्डिंग आदि हटाने जैसी कार्रवाइयां चक्रवात के संभावित आगमन से एक दिन पहले शाम तक सुनिश्चित की जा सकती हैं.