बालासोर ट्रेन दुर्घटना के बाद से चर्चा में आई कवच तकनीक की अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 139 रेल इंजनों (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) और 1465 किमी रूट पर तैनाती की गई है. यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दी है. हाथियों से होने वाली दुर्घटना को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली को लेकर भी सदन में अपडेट दिया है. 

दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर के लिए दिए गए हैं टेंडर

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संसद में दिए लिखित जवाब के मुताबिक फिलहाल कवच के टेंडर दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा गलियारे (लगभग 3000 रूट किमी) के लिए दी गई हैं. कवच से संबंधित मुख्य वस्तुओं की प्रगति इस प्रकार है: ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना: 3040 किमी, दूरसंचार टावरों की स्थापना 269 किमी, स्टेशनों की संख्या, जहां उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे:186, लोको की संख्या, जहां उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे: 170, ट्रैक साइड उपकरणों की स्थापना: 827 रूट किमी.

हाथियों से होने वाली दुर्घटना को रोकने के लिए 48 रूट पर चल रहा काम 

कवच प्रणाली सेफ्टी इंटीग्रिटी स्तर-4 के लिए प्रमाणित है. इसके अलावा, स्वतंत्र सुरक्षा विशेषज्ञ (आईएसए) द्वारा इसका प्रमाणीकरण कमीशनिंग के समय आयोजित किया जाता है, जब पूरा रेल खंड पूरी तरह से तैयार हो जाता है और उसका पूरी तरह से परीक्षण कर लिया जाता है. हाथियों से होने वाली दुर्घटना को रोकने के लिए इन्ट्रूशन का पता लगाने वाली प्रणाली के प्रावधान के लिए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पर पहले से ही पहचाने गए 48 रूट किमी के संवेदनशील रेल खंडों पर काम शुरू कर दिया गया है. 

61508 रूट किमी रेलवे नेटवर्क पर किया जा चुका है इलेक्ट्रिफिकेशन 

रेल मंत्री के सदन में दी गई लिखत जानकारी के मुताबिक उन स्थानों की संवेदनशीलता के आधार पर, जहां पटरियों पर हाथियों की आना-जाना अक्सर होता रहता है, वहां भी भारतीय रेलवे द्वारा कार्यों को मंजूरी दी गई है. 2020-21 से 2022-23 के दौरान मेल/एक्सप्रेस रेल सेवाओं का समय से चलने का औसत 88.48 प्रतिशत था. बड़ी लाइन के रेलवे नेटवर्क का 31 दिसंबर, 2023 तक 61508 रूट किमी (93.83 प्रतिशत) का इलेक्ट्रिफिकेशन किया जा चुका है.

भारतीय रेल में 2018-19 की तुलना में, वर्ष 2021-22 में डीजल रेल इंजनों के लिए एचएसडी खपत में 44.64 प्रतिशत की कमी देखी गई है.