भारतीय रेलवे ने सफाई वाला, धोबी, खलासी, कुक, वेटर आदि जैसे कई पदों का नाम बदलने का निर्णय लिया है. ये सभी पद रेलवे में 1853 से थे. इन सभी पदों पर काम करने वाले लोगों को अब सहायक के तौर पर जाना जाएगा. रेलवे ने कर्मचारियों यूनियनों से बातचीत के बाद इस संबंध में सर्कुलर भी निकाल दिया है. रेल कर्मचारी लम्बे समय समय से इस तरह के बदलाव की मांग कर रहे थे. रेलवे ने इस बदलाव के तहत अब तक वर्कशॉप में काम करने वाले ग्रुप डी के कर्मचारियों को हेल्पर की जगह अब असिस्टमेंट वर्कशॉप का पद नाम दिया है. वहीं कैरेज एंड वैगेन, लोको शेड, सिग्नल एंड टेलिकॉम, स्टोर, आदि जगहों पर काम करने वाले हेल्पर के पदों के आगे असिस्टेंट लगा दिया है.

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रेल कर्मिचारियों ने किया स्वागत

अॉल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि समय के साथ कई सारे पदों के नाम काफी पुराने हो चुके थे. कर्मचारी इन पदों के नामों के चलते कई बार शर्मिंदगी भी महसूस करते थे. ऐसे में इनमें नाम में बदलाव की काफी जरूरत महसूस की जा रही थी. कर्मचारियों को सहायक के तौर पर बुलाए जाने पर उनका भी सम्मान बढ़ेगा. रेलवे के इस बदलाव की मांग काफी समय से की जा रही थी. इस बदलाव का निर्णय स्वागत योग्य है.

मानी गई एक और मांग

भारतीय रेल ने कर्मचारी संगठनों की बेहद पुरानी मांग को स्वीकार करते हुए गार्ड, लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को मिल रहे रनिंग भत्ते को दो गुने से अधिक करने का निर्णय लिया है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इससे सालाना भत्ते पर 1,225 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा तथा परिचालन अनुपात 2.50 प्रतिशत बढ़ जाएगा.