रेलवे जल्द ही गाड़ियों के एसी सेकेंड क्लास में लगाए जाने वाले पर्दों को हमेशा के लिए हटाने का निर्णय ले सकता है. पर्दों को यात्रियों की ओर से ही से प्रयोग नहीं किया जाता है.इसके चलते पर्दे जल्दी गंदे हो जाते हैं. जबकि पर्दों को महीने में एक बार ही धुलने के लिए भेजा जाता है. ऐसे में यात्री आए दिए पर्दे गंदे होने की शिकायत करते हैं. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए रेलवे रेलगाड़ियों से पर्दों को हटाने पर ही विचार कर रहा है.

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समय से पहले गंदे हो जाते हैं पर्दे

रेलवे के अधिकारियों के अनुसार ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि यात्री डिब्बे में लगे पर्दों का प्रयोग हाथ पोछने, जूते पोछने व अन्य कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ये पर्दे जल्द ही गंदे हो जाते हैं. रेलवे इन कपड़े के पर्दों की जगह पर प्लास्टिक की पट्टियों से बने पर्दों का प्रयोग कर सकता है. सेकेंड एसी में यात्रियों की निजता को ध्यान में रखते हुए पर्दों का कोई विकल्प दिया जाए या पर्दों को पूरी तरह से हटा दिया जाए इस पर विचार हो रहा है.

पहले 3 एसी में भी होते थे पर्दे

पहले एसी डिब्बों में यात्रियों की निजता को ध्यान में रखते हुए रेलगाड़ियों के 3 एसी डिब्बों में भी पर्दे लगाए जाते थे. लेकिन बेंगलुरू-नांदेड़ एक्सप्रेस गाड़ी में पर्दों में आग लगने और इसके चलते 26 लोगों की मौत के बाद सभी रेलगाड़ियों से 3 एसी से पर्दे हटा दिए गए थे.