रेल सफर में मिलेगा कुल्हड़ चाय का मज़ा, इन 25 स्टेशनों पर शुरू होगी सर्विस
सरकार के एमएसएमई (MSME) मंत्रालय की पहल अब धीरे-धीरे रंग ला रही है. इस पहल का ही नतीजा है कि अब फिर से वे दिन लौट रहे हैं जब आप रेल सफर के दौरान कुल्हड़ में गरमागरम चाय की चुस्कियों का आनंद उठाएंगे.
सरकार के एमएसएमई (MSME) मंत्रालय की पहल अब धीरे-धीरे रंग ला रही है. इस पहल का ही नतीजा है कि अब फिर से वे दिन लौट रहे हैं जब आप रेल सफर के दौरान कुल्हड़ में गरमागरम चाय की चुस्कियों का आनंद उठाएंगे. वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशन के बाद अब राजस्थान के 25 रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ वाyh चाय मिलेगी. खादी-ग्रामोद्योग विभाग और रेलवे मंत्रालय (Railway Ministry) के साथ आने का नतीजा है कि अब राजस्थान के 25 बड़े और बेहद अहम रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ वाली चाय यात्रियों को मिलेगी.
राजस्थान के ये 25 स्टेशन हैं - Bikaner, Sirsa, Bhiwani, Hanumangarh, Shri Ganganagar, Hisar, Churu, Suratgarh, Jodhpur, Pali, Barmer, Nagpur, Jaisalmer, Bhagat Ki Kothi, Luni, Jaipur, Jhunjhuna, Dausa, Gandhi Nagar, Durgapura, Sikar, Ajmer, Udaipur, Sirohi Road and Abu Road.
दरअसल कुल्हड़ के दिन लौटाने के पीछे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की बेहद अहम भूमिका रही है. सड़क परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को देश के 400 बड़े स्टेशनों पर बतौर प्रोजेक्ट कुल्हड़ चाय बेचने का प्रस्ताव दिया था. गडकरी का तर्क था कि की इस एक पहल से जहां देश के कुम्हारों को रोजगार और सही कीमत मिल सकेगी, वहीं रेलवे को भी आमदनी में इजाफा हो सकेगा.
रेल मंत्री पीयूष गोयल के प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद शुरुआत के तहत कुल्हड़ चाय 2 रेलवे स्टेशनों वाराणसी और रायबरेली में मिलने लगी है. हाल ही में दोनों रेलवे स्टेशनों के रेल अधिकारी ने 6 महीने की जो फीडबैक रिपोर्ट दी, उससे उत्साहित रेलवे ने अब कुल्हड़ को देश के अन्य अहम स्टेशनों पर भी रखने का फैसला कर लिया है.
खादी ग्रामोद्योग चेयरमैन विकास सक्सेना के मुताबिक मिट्टी के बर्तनों, कुल्हड़ के वापस ट्रेंड में आने और डिमांड बढ़ने का फायदा कुम्हारों को मिल रहा है. सरकार ने कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत पिछले साल तक 1000 इलेक्ट्रिक पॉटरी मशीन भी कुम्हारों को बांटी हैं, जबकि इस साल 30,000 इलेक्ट्रिक पॉटरी मशीन बांटने का लक्ष्य है. 30,000 इलेक्ट्रिक पॉटरी मशीन रोजाना 2 करोड़ कुल्हड़ बना सकती हैं.
सरकार को उम्मीद है कि मिट्टी के बर्तनों या कुल्हड़ों के जरिये देश के कुम्हारों के साथ-साथ सूक्ष्म और लघु उद्योग को आर्थिक रफ्तार दी जा सकेगी.