शिमला की वादियों में छुक-छुक करती ट्वाय ट्रेन के लिए खास तरीके से डिजाइन किए गए विस्टा डोम कोच (Vista Dome Coach) में आप 11 दिसंबर से सफर कर सकते हैं. भारतीय रेलवे ने सोमवार से इस कोच को लगातार चलाने का फैसला किया है. इसके लिए टिकटों की कीमत भी तय कर दी गई है. पूरी तरह से पारदर्शी विस्टाडोम कोच का किराया बड़ों के लिए 130 रुपये तथा बच्चों के लिए 75 रुपये तय किया गया है. 
 
बता दें कि भारतीय रेलवे की ओर से खास तरह के विस्टाडोम कोच तैयार कराए गए हैं. इन डिब्बों की छत और सीट के साथ लगी खिड़कियों व आसपास का हिस्सा पूरी तरह से पारदर्शी है. इन्हें खास तरह के प्लास्टिक से बनाया गया है. ये कोच को कालका से शिमला के बीच चलने वाली ट्वाय ट्रेन में लगाए जाएंगे. इस डिब्बे में यात्रा कर के यात्रियों को शिमला की वादियां और खूबसूरत दिखाई देंगी. 
पिछले हफ्ते केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शिमला में विस्टाडोम कोच का जायजा लिया था. 
 
Mission 100 Days
रेलवे की ओर से कालका-शिमला रेल सेक्शन पर Mission 100 Days नाम से एक अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत इस रेल सेक्शन पर कई तरह के विकास कार्य किए जाने हैं. अभी तक इस रूट पर ट्रेन की अधिकतम गति 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जिसे बढ़ा कर 25 किलोमीटर किया जाना है. गाड़ियों की गति को बढ़ाने के लिए इस ट्रैक में कई तरह के सुधार कार्य किए जा रहे हैं. कालका-शिमला रेल रूट वर्ल्ड हेरिटेज रेलवे सेक्शन है.
 
देश-विदेश से हर साल लाखों सैलानी शिमला घूमने जाते हैं. शिमला जाते समय रास्ते में कई खूबसूरत जगहें पड़ती हैं. ट्वाय ट्रेन से यात्रा के दौरान यात्री रास्ते में कहीं रुकते हैं लेकिन स्टॉप बहुत कम समय का होने के चलते यात्री यहां की खूबसूरत वादियों का लुत्फ नहीं उठा पाते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए खास तरह से डिजाइन विस्टाडोम कोच तैयार किए गए हैं. 
 
रेलवे की ओर से एक HOP ON -HOP OFF सेवा शुरू की गई है. इसक तहत रेल यात्री खास तरह का टिकट खरीद कर रास्तें के किसी भी स्टेशन पर उतर सकते हैं. वहीं वो चाहें तो अपनी रेलगाड़ी को छोड़ कर कुछ देर घूमने के बाद पीछे से आ रही रेलगाड़ी में यात्रा यात्रा कर सकते हैं. ये टिकट पूरे दिन के लिए मान्य होता है.
 
यूनेस्को ने दिया है विरासत का दर्जा
यूनेस्को ने इस रेल मार्ग को विरासत का दर्जा दिया हुआ है. भारतीय रेल इस मार्ग पर सालाना 80 करोड़ रुपये खर्च करती है जबकि उसे महज 7 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. इस रूट को विकसित किया जा रहा है, क्योंकि इस मार्ग में सालाना 500 करोड़ रुपये राजस्व हासिल करने की क्षमता है