रेलवे ने पानी बचाने के लिए बनाई खास रणनीति, लगाया ये प्लांट
रेलवे ने पानी बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल में स्थित शुकूरपुर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास एक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है जो की ट्रेनो को धोने वाले पानी को इकट्ठा कर उसे साफ़ कर दुबारा pipeline में भेज देता है.
रेलवे ने पानी बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल में स्थित शुकूरपुर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास एक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है जो की ट्रेनो को धोने वाले पानी को इकट्ठा कर उसे साफ़ कर दुबारा pipeline में भेज देता है.
एक ट्रेन धुलने में 20 हजार लीटर पानी होता है इस्तेमाल
हमारे देश में हर दिन 12 हज़ार से भी ज़्यादा ट्रेने पटरियों पर दौड़ती हैं. सभी ट्रेनों को समय समय पर धोया जाता है . और एक ट्रेन को धोने के लिए क़रीब 20 हज़ार लीटर पानी इस्तेमाल किया जात है. और ये पानी नालियों में बह कर बर्बाद हो जाता है. लेकिन अब रेलवे इस पानी को रीसाइकल कर प्रयोग करने के लिए बड़े पैमाने पर रणनीति तैयार कर रहा है. . इसके लिए उत्तरी रेल्वे ने
शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर लगाया गया प्लांट
शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर लगाए गए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता प्रति दिन 6 लाख लीटर की है. हर बार पानी साफ होने के बाद इसमें से 10% पानी कम होता जाएगा. यानी की अगर 6 लाख लीटर की कपैसिटी है तो लगभग 5 लाख 46 हज़ार लीटर पानी वापस साफ़ हो जाएगा और बचे हुए गंदे पानी को भी ट्रीट करके उसका स्लज़ और उपले बना कर खाद बनाई जाएगी.
ट्रेनों को धोने में प्रयोग हो पानी
ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हो कर मिलने वाला पानी सिर्फ़ ट्रेनों को साफ़ करने और गार्ड्निंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. शुरुआत में 2 ट्रेनें इस पानी से धोई जा रही है आगे क्रॉसिंग लाइन का काम पूरा होने के बाद और भी ट्रेने यहाँ धोई जाएँगी. खास बात ये है की पानी को साफ करने वाली ये मशीन किसी दूसरे देश से नही ली गाई हैं बल्कि ख़ुद भारत में ही बनाई गई है. इसे मोटर, फ़िल्टर, केमिकल और काँक्रीट टैंकर से मिलाकर बनाया गया है.