रेलवे ने आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर अपनी ट्रेनों को चलाने के लिए कम ऊर्जा का प्रयोग करने का प्रयास शुरू किया है. इसी के तहत पश्चिम रेलवे की ओर से बांद्रा से सहरसा के बीच चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस के इंजन में Head On Generation (HOG) का प्रयोग किया है. इस तकनीक के प्रयोग से रेलवे को इस ट्रेन के एक बार बांद्रा से सहरसा जाने व वापस आने में लगभग 5000 लीटर डीजल की बचत होगी.

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क्या है हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक

सामान्य स्थितियों में रेलगाड़ियों में चलने वाले इलेक्ट्रिक इंजन को चलाने के लिए ओवरहेड वायर से बिलजी की सप्ताई की जाती है. इसी बिजली से ताकत ले कर इंजन चलता है. हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक तकनीक के तहत इंजन को मिलने वाली बिजली को रेलगाड़ी के हर डिब्बे तक इंजन के जरिए ही पहुंचाया जाता है. ऐसे में डिब्बों में पंखे, एसी , लाइट आदि जलाने के लए इंजन से ही बिजली की सप्लाई भेजी जाती है. ऐसे में रेलगाड़ी में अतिरिक्त पावर कार लगाने की जरूरत खत्म हो जाएगी.

यात्रियों को आसानी से मिल सकेगी कनफर्म सीट

हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक के प्रयोग के चलते रेलगाड़ी में बिजली की सप्लाई इंजन के जरिए होने के चलते पावर कार की जरूरत खत्म हो जाएगी. ऐसे में एक एसी ट्रेन में सामान्य तौर पर दो पावर कार लगाई जाती हैं जिनकी जरूरत हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक के प्रयोग के दौरान नहीं होती है. ऐसे में इन पावर कार को हटा कर इनकी जगह पर सामान्य यात्री डिब्बे लगाए जा सकते हैं. ऐसे में यदि किसी ट्रेन में दो डिब्बे बढ़ा दिए जाते हैं तो लगभग 140 यात्रियों को रेलगाड़ी में आसानी से सीट उपलब्ध उपलब्ध कराई जा सकेगी.

इस स्टेशन की कई ट्रेनों में हो रहा प्रयोग

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलने वाली कई राजधानी व शताब्दी रेलगाड़ियों में हेड ऑन जनरेशन (एचओजी) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. काफी समय तक इस तकनीक का प्रयोग नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया. रेलवे को एचओजी तकनीक के बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। रेलवे जल्द ही गाडि़यों में चल रहे दो जनरेटर डिब्बों में से एक को हटाने पर विचार कर रही है. ऐसा होता है गाडि़यों में यात्रियों के लिए एक डिब्बो बढ़ाया जा सकेगा. इससे बड़ी संख्या में यात्रियों को कनफर्म सीट मिल सकेगी.